Friday, January 12, 2024

गुनिया बहु 

ठाकुर हरी राम के खानदान में पचास लोगों का जमाबड़ा होगा ,सबका खाना एक ही चूल्हे पर बनता है। उनका घर देखो तो लगेगा पूरा गांव एक ही बाड़े में रहता है। घर में दो बड़े आँगन हैं। चारो तरफ कमरे बने हैं ,आँगन के बीच में हेण्डपम्प लगे हैं। आँगन में सुरक्षा के लिए लोहे का जाल लगा है ,ऊपर मेहमान खाने बने हैं। सामने बड़ा सा बगीचा बना है ,दिन भर दर्जन भर बच्चे धमाचौकड़ी करते रहते हैं। बाहर गेट पर ठाकुर हरिराम लिखा है। चार लड़के दो बेटियों का भरा पूरा परिवार है। 

भीतर ही गाड़ी ,स्कूटर ,ट्रेक्टर ,साईकिल सब के लिए गेराज बना है ,जीप के लिए अलग स्थान है। भगत माली वहीँ एक कमरे में पत्नी के साथ रहता है। चौकीदारी का काम भी वही करता है। भगत की पत्नी सुधा घर का काम देख लेती है। ठाकुर के घर बच्चों को पढ़ने एक मास्टर भी आता है ,दो बाइयाँ भी आती हैं। पढाई केवल लड़कों की होती है ,लड़कियां दूसरे कमरे से सुन कर ही पढ़ सकतीं हैं। यही अजब नियम है ठाकुर का। दुनियां बदल गई पर उनकी सनक नहीं बदली। लड़कियां नहीं पढेंगी बस। 

शायद इसीलिए ठाकुर के घर बेटी होना ,अच्छा नहीं मानते। किसी को नहीं पता क्या वजह है ? ठाकुर ने कह दिया तो ,हुक्म का आदेश माना जायेगा। चालीस बीघा खेत से दो सौ बीघा करने वाले ठाकुर ही हैं। चारों बेटों ने काम बाँट रखे हैं ,कोई बाहर का काम देखता है तो कोई हिसाब -किताब ,कोई मंडी का काम देखता है तो छोटा खेत का। ठाकुर बाहर बरांडे में बड़े से पलंग पर पड़े ,हुक्का गुड़गुड़ाते रहते हैं। पास के मेज पर जग ,पानी का गिलास रखा रहता है। दो मूड़े रखे रहते हैं दोस्तों के लिए। शाम सात बजे तक दोस्तों से गांव भर की और राजनीति की बातें चलती रहतीं हैं। 

आठ बजे खाना खाकर ,बेटों के साथ रोज का हिसाब होता है। घर का हिसाब बड़ी बहु देखती है क्योकि वो बीकॉम पास है। दूसरी रसोई का काम देखती है क्योंकि होमसाइंस किया है। तीसरी ने एमए किया है वो  पढाई देखती है। बड़े आँगन में चूल्हा हमेशा ही जलता रहता है ,कभी दूध उबल रहा होता है ,कभी सब्जी पाक रही होती है। पहले बच्चे खाना खाते हैं फिर पुरुष तब ,महिलाएं खातीं हैं। ठाकुर का मानना है जब ,बहु घर आये तो पढ़ी लिखी होनी चाहिए। घर की बेटियों के लिए कुछ नहीं। 

जब ,सरस्वती ठकुरानी जीवित थीं तब ,बहु से पहली बार मिलते समय यही पूछतीं थीं ,बेटा !! खाना बनाना आवे ,सिलाई ,बुनाई ,नाचगाना आवे ?हाँ कहने के साथ ही रिश्ता तय हो जाता था। सरस्वती की दो बेटियां हैं ,एक ने दसवीं तक पढ़ा ,दूसरी पास के गांव में ब्याही है। सरस्वती बीमार हो गई। कुछ दिन बाद स्वर्ग सिधार गईं। एक बार होली पर सरस्वती की बहन रूपा भांजों से मिलने आ गई ,ठाकुर खुश तो हुआ लेकिन उनका कमरा अपने कमरे के पास बना दिया। बड़ी बहु उनका ध्यान रखती थी। एक रात रूपा  तबियत बिगड़ गई ,बहु उनके साथ सोने लगी। जब तबियत थोड़ी ठीक हुई तो ,ठाकुर ने बेटे से कहा कल मौसी को छोड़ आना। बहु ने रात में मौसी से पूछ लिया -पिताजी लड़कियों से क्यों चिढ़ते हैं। पढ़ने नहीं देते। रूपा ने अपनी सौगंध दिलाई ,कभी किसी को पता न चले ,ठाकुर की बेटी रुक्मणि किसी से करती थी। पढ़ने के बहाने खेतों पर डोलती थी ,एक दिन किसी ने ठाकुर को बता दिया -तुम्हारी छोरी तो ,जंगल में घुस गई। उसी समय फरसा लेकर गए ,आज तक दौनों की लाश न मिली। सरस्वती तो इसी चिंता में चली गई। शालू तूने अगर काई ते कही तो ,जीजा मोय न   छोड़ेगा। मौसी आप चिंता न करो। 

कुछ दिनों बाद शालू ने ससुर को राजी कर लिया कि  स्कूल में पड़ेंगी। शालू ही पूरी जिम्मेदारी लेती है। घर में डांस मास्टर भी आने लगा। ठाकुर कभी भगत से ,कभी सुधा से ,कभी अपने गुप्तचरों से जानकारी लेते रहे फिर सब नार्मल हो गया। दूसरी बेटियों के गुण अपनी बेटियों में भी तो ,होने चाहिए। ठाकुर को समझ  रहा था लेकिन हिम्मत की कमी थी। बहुये अब खुलकर जी  रहीं हैं। शालू ने मौसी की बात पर ताला लगाकर नदी में चाबी फेंक दी है। घर के लोग अब ,सामान्य तरीके से सामाजिक जीवन भी जी रहे हैं। शालू सब देख रही है। 


















































 

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