Monday, July 15, 2024

 कन्या भ्रूण की रक्षा 

  सावित्री कुछ परेशान हो रही थी ,हरिया की माँ ने अपनी बहु पारो को अस्पताल लेजाकर कन्या भ्रूण को समाप्त करवा दिया। डॉक्टर से कह दिया ,काम करने वाली अकेली महिला है। जाके दो बच्चा पहले से हैं। अब ,जरुरत नाय ,आप तो ऑपरेशन कर दो। लेकिन अम्मा !! इसके लिए पति -पत्नी का राजी होना जरुरी है। आ रे हरिया !! चल अंगूठा लगा ,बहुत है गई लक्ष्मी -लक्ष्मी। हमें पालने परे हैं बालक ,घर में न अनाज है ,न साग भाजी।

 डॉक्टर ने बताया -सरकार ने एक योजना चलाई है इसमें बेटी होने पर ,पढ़ाई का और ब्याह का खर्चा सरकार करेगी। लाड़ली लक्ष्मी योजना। स्कूल जाएगी तो खाना भी वहीँ मिलेगा। हाँ ,तो बेटी है ,उसी का सरकार  करे। बसंती ने किसी की नहीं सुनी। तीसरे दिन बहु को घर ले आई। तू हफ्ता भर आराम कर ,काम मैं करुँगी। 

हरिया सावित्री के घर बगीचा ठीक करने आता है। सावित्री ने डॉक्टर को घर बुलाया और आस -पास की महिलाओं को बुला लिया। आज कन्या भ्रूण के बारे में बात करनी थी। सबसे पहले डॉक्टर ने बताया कि लड़का या लड़की पैदा होना महिला की जिम्मेदारी नहीं है। महिला बच्चे को पोषण देती है ,पूर्णता देती है। कभी भी बहु -बेटियों को इसके लिए दोष मत देना। पति के बीज पर सब निर्भर होता है। 

अगर बच्चा नहीं चाहिए तो ,घर पर ही इलाज नहीं करना चाहिए। हमेशा डॉक्टर से बात करो। यदि कन्या नहीं चाहिए तो ,भ्रूण  परिक्षण का कोई प्रावधान नहीं होता कि पता चले बेटी है या बेटा। सरकार बेटियों के लिए कई योजनाएं चला रही है उनको जानो ,समझो और अमल करो। सभी महिलाओं की समस्याओं को सुनकर डॉक्टर ने दवा भी दीं। सावित्री ने घर पर ही महिलाओं को सुविधा प्रदान की। 

रेनू शर्मा 

























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