कैसा दोस्त ?
जब -जब किसी दोस्त से ,
हैल्प के लिए ,शब्दों को
प्रार्थनीय किया ,एक तीखा
खरा सा ,जवाब आया ,
अपने कर्मों का हिसाब खुद देखो।
तब -तब असहाय ,बेसहारा ,और हतप्रभ सी
खड़ी ,सोच में पड़ गई।
अभी तक तो ,दोस्त था ,
अभी तो हम ,हंस रहे थे।
बातों का पुलिंदा खोल रहे थे ,
बिलकुल अभी ,दिल के गुबार
हवा में उड़कर हमारी गिरह ,
हल्की कर रहे थे ,उसने
आवाज की घुटन ,शब्दों के कम्पन को
महसूस नहीं किया। फिर कैसे
मान लूँ ,तुम मेरे दोस्त हो ?
हैल्प के लिए ,शब्दों को
प्रार्थनीय किया ,एक तीखा
खरा सा ,जवाब आया ,
अपने कर्मों का हिसाब खुद देखो।
तब -तब असहाय ,बेसहारा ,और हतप्रभ सी
खड़ी ,सोच में पड़ गई।
अभी तक तो ,दोस्त था ,
अभी तो हम ,हंस रहे थे।
बातों का पुलिंदा खोल रहे थे ,
बिलकुल अभी ,दिल के गुबार
हवा में उड़कर हमारी गिरह ,
हल्की कर रहे थे ,उसने
आवाज की घुटन ,शब्दों के कम्पन को
महसूस नहीं किया। फिर कैसे
मान लूँ ,तुम मेरे दोस्त हो ?
रेनू शर्मा
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