Monday, July 15, 2024

कैसा दोस्त ? 

 जब -जब किसी दोस्त से ,
हैल्प के लिए ,शब्दों को 
प्रार्थनीय किया ,एक तीखा 
खरा सा ,जवाब आया ,
अपने कर्मों का हिसाब खुद देखो। 
तब -तब असहाय ,बेसहारा ,और हतप्रभ सी 
खड़ी ,सोच में पड़ गई। 
अभी तक तो ,दोस्त था ,
अभी तो हम ,हंस रहे थे। 
बातों का पुलिंदा खोल रहे थे ,
बिलकुल अभी ,दिल के गुबार 
हवा में उड़कर हमारी गिरह ,
हल्की कर रहे थे ,उसने 
आवाज की घुटन ,शब्दों के कम्पन को 
महसूस नहीं किया। फिर कैसे 
मान लूँ ,तुम मेरे दोस्त हो ?

रेनू शर्मा 
























 

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