Wednesday, July 31, 2024

गलत रास्ता  

 इस बार की छुट्टियों में सुनक ने परिवार के साथ घूमने का प्रोग्राम बनाया। सोचा गाड़ी से ही चलेंगे ,पीछे सीट पर यश के लिए सुलाने की व्यवस्था भी करली। गाड़ी में जरुरत का सामान रखा और चल दिए। दिल्ली तक जाना था। पहले की अपेक्षा इस बार सड़कें बहुत अच्छीं थीं। गाड़ी फर्राटेदार चल रही थी ,फ्लाईओवर पर मजा आ रहा था। रानी का काम था रास्ते के बोर्ड पर ध्यान रखना। कभी जी पी एस भी गलत रास्ता बता देता है। कई बार कोई इंसान नहीं दिखाई देता जिससे पूछो कि भाई ! हाइवे किधर से आएगा ? 

एक ढाबा दिखाई दिया जहाँ दो तीन गाड़ियां कड़ी थीं ,सुनक ने चाय की इच्छा जाहिर की और गाड़ी  दी। कोई बोर्ड न देख पाने के कारण थोड़ा कन्फूजन हो गया। पास ही पुलिया पर कुछ लड़के मस्ती कर रहे थे ,सुनक ने उनसे रास्ता पूछा तो बोल दिया इधर चले जाय। अभी ग्वालियर निकला ही था। जाने क्या हुआ ,सुनक ने गाड़ी  बताये रास्ते पर डाल दी। अभी कुछ दूर ही चले थे कि एक चरवाहा दिखाई दिया ,रानी ने उसी से रास्ता पूछा -भैया !! हमारे पास छोटा बच्चा है ,उन लड़कों ने बताया यहाँ से हाइवे पकड़ लेना। 

बहन !! ये रास्ता तो ,जंगल में जाता है। आप वापस लौट जाओ। उलटे हाथ पर जो रास्ता जाता है ,वही हाइवे जायेगा। जब तक वापस आये ,वहां कोई लड़के नहीं थे। सुनक और रानी आगरा रोड पर आकर ही निश्चिन्त हो पाए। अब ,नेट भी काम कर रहा था। चरवाहा बता रहा था -वही लड़के आपको आगे लूट लेते। पुलिस चौकी भी बनी है। दूसरी गाड़ी जो आपके रास्ते पर जा रही है ,उसे फॉलो करते रहें। रात में हमेशा हाइवे पर ही रहें। कोई शॉर्ट कट न अपनाएँ। 

एकांत में कभी न रुकें ,कुछ नियम पालन करें तो सड़क मार्ग भी उत्तम हो सकता है। रास्ता हमेशा बाजार में पूछें। आगरा पहुंचकर रानी ने राहत की सांस ली। रात को यहीं रूककर आगे का सफर तय किया गया। 

रेनू शर्मा 
























 

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