झगड़ा ख़तम
रामू और चम्पू झगड़ते हुए अपने दादा ह्वेन के पास गए ,बच्चे बहुत देर तक उन्हें अपने को निर्दोष बताने का प्रयास करते रहे। जब दादा संतुष्ट नहीं हुए तब ,वे लोग अपने -अपने दोस्तों को लेकर दादा के पास गए। दादा ह्वेन ने कहा -चलो आज झगड़ा ख़तम ही करते हैं।
रामू अपने दोस्तों से मंत्रणा कर रहा था -दोस्तों !! हम हार नहीं मानेंगे ,क्योंकि चम्पू ने गलत दांव लगाया था। जब विरोधी पार्टी जमीन पर हाथ या पांव मारने लगे तो समझना चाहिए कि दूसरा मौका चाहिए। चम्पू ने ध्यान ही नहीं दिया। मैं ,हार नहीं सकता। उसने मुझे गलत तरीके से हराया था। सभी लोग रामू का समर्थन कर रहे थे।
सभी बच्चे शाम को दादा व्येन की व्यायाम शाला में आकर कुश्ती सीखते थे। योग -ध्यान करते थे और कब्बडी भी खेलते थे। चम्पू भी अपने दोस्तों के साथ मंत्रणा करने में व्यस्त था। देखो दोस्तों !! खेल में जब जिसको मौका मिलता है तब ,दांव लगा लेता है। इसमें कोई दोष नहीं। रामू को कमर से पकड़ा और गिरा दिया। उसने एक बार भी हार नहीं मानी। दोस्तों ने चम्पू का साथ दिया।
दूसरे दिन सभी लोग दादा ह्वेन के पास एकत्र हो गए। एक टेबल रखी ,कुर्सी पर दादा बैठ गए ,चम्पू और रामू को बुलाकर बताया -देखो तीन बार मौका मिलेगा। जो हारेगा वो ,विरोधी पार्टी को क्षमा करेगा। वादा करेगा कि खेल में कोई बेईमानी नहीं होगी। सभी दोस्त मिलकर खेलेंगे। सभी ने दादा की बात का समर्थन किया। मेज पर रामू और चम्पू की तर्जनी ऊँगली की कुश्ती होनी थी। इसी उंगली को उठाकर झगड़ा करते हो ,अब जो उंगली नहीं झुका पाया वो ,दूसरा प्रयास करेगा।
खेल शुरू हुआ कोई हार -जीत नहीं हुई ,दुबारा शुरू किया गया। फिर भी कोई नहीं जीता। दादा ने खेल ख़तम किया। दोनो की दोस्ती कराई। देर तक तालियां बजती रहीं। सभी ने मिलकर दैनिक व्यायाम किया। दादा ह्वेन की व्यायाम शाला फिर से फूलों जैसी महकने लगी।
रेनू शर्मा
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