Wednesday, July 17, 2024

आखिरी रात 

 पुराने ,बरसों पुराने लेन -देन को 
रूह से उसे ,समर्पित कर दिया। 
दिल में स्पंदन होता था ,
मन का चक्र एक ओर ही घूमता था। 
आगोश में आने की चाह ,
घुमड़ जाती थी ,इच्छा -अनिच्छा ,
राग -द्वेष में ,राग का गीत गाया  जाता था। 
रातों को सपने नहीं आने दिए ,
वो ,सौंदर्य का उपासक ,शब्दों का जाल 
बुनता रहा ,पंछी जो चहका करते थे ,
दूर जंगलों में रवाना हो गए। 
जाने कब ,आखिरी रात होगी ?

रेनू शर्मा 












 

No comments: