बासी पराठा
तीन बच्चे कमरे के चिकने फर्श पर सोये पड़े हैं माँ ,मीना बाहर से बोल रही है -उठो बच्चो !! मैं ,ऑफिस जा रही हूँ ,कोई नहीं सुन रहा। तभी नीतू उठकर दरवाजा बंद करती है और फिर से सोने की कोशिश करने लगती है। नीतू उठ ही जाती है ,कश अभी बारह बरस की है और सम्राट दस बरस का। मीना पति के ऑफिस में ही क्लर्क है। बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसा चाहिए ही इसलिए काम करती है।
नीतू देखती है कि टेबल पर तीन गिलास दूध रखा है ,पूरा घर व्यवस्थित है। मेज पर दाल -रोटी भी बनी रखी है। नीतू कश को उठाती हैऔर सम्राट खुद ही उठकर माँ को खोजता है। तीनो भाई -बहन उठकर अपने हिसाब से तैयार होकर ,कभी खाना खाते हैं ,कभी पढ़ाई करते हैं ,कभी खेलते हैं। शाम होते ही सम्राट खिड़की पर बैठकर माँ के आने का इन्तजार करता है। माँ ,छुट्टियों में शाम को कभी दलिया ,कभी खिचड़ी ,कभी पुलाव बनाया करती थी। न भी अच्छा लगे तब भी खाना होता था।
सर्दियों में आलू टमाटर की सब्जी और पराठा बनाती थी। जब भी सुबह देर होती वही पराठे उनके टिफिन में अचार या सब्जी के साथ होते थे। सुबह ठण्ड में उठकर तैयार होना ,खाना बनाना बड़ा मुश्किल होता था। शाम को सम्राट अक्सर बोलता माँ !! आज पराठा बार -बार टूट रहा था। कल जैसा नहीं था। हाँ बेटा !! कभी कभी होता है। उसमें बेसन मिला था अच्छा ! खुश होकर खेलने लगता। मीना कभी -कभी रात को पूड़ियाँ ज्यादा बना देती और सुबह वही टिफिन में सब ले जाते। दोस्तों के साथ खाने में सभी बड़ा मजा आता था।
नीतू बड़ी हुई और इंजिनियर बन कर हैदराबाद चली गई। कश पुणे में पढाती है। सम्राट अभी बी टेक कर रहा है। मीना के जॉब को अभी चार साल बचे हैं। फिर रिटायरमेंट है। नीतू बाहर का खाना खाकर माँ को बताती है कि अच्छा होता है ,लेकिन कश ने रसोइया रखा है। सभी को माँ के हाथ का खाना याद आता है। मीना कभी सोचती है पति के जाने के बाद जॉब किया ,बच्चे संभाले ,कुछ भी उन्हें खिलाया लेकिन आज बच्चे सक्षम हैं तो जो मन हो खाएं। उसे ख़ुशी होती है। क्या करती ? बच्चो को किसी बाहरी व्यक्ति के पास नहीं छोड़ सकती थी। कोई रिश्ता उसका साथ निभाने राजी नहीं हुआ।
अब ,तो बच्चे बड़े हो ही गए ,सम्राट एम् बीये करने के बाद दिल्ली चला गया है। बड़ी कंपनी में जॉब लगा है। मीना को अभी चार माह बचे हैं। कश बोल रही थी माँ ! बच्चों के एग्जाम के बाद आउंगी। नीतू कभी -कभी माँ को पैसे भेज देती है। मीना ऑफिस से विदा होकर आ ही गई ,घर में बच्चों की हलचल नहीं थी। मीना की दोस्त ने कहा था -छोटे बच्चों को पढ़ाना ,खाली नहीं बैठना है। सम्राट ने माँ के नाम बड़ा सा खत लिखा है -
माँ !! आपकी याद आती है ,विशेषकर बेसन वाले पराठे। मेरा दोस्त राहुल भी आएगा।उसने बताया कि वो पराठे उसने भी खाये थे। उन्हें बासी पराठा कहते हैं ,यार ! लेकिन माँ के हाथ से फिर खाने हैं। आप जो नीबू का मीठा अचार उस पूड़ी या पराठे के बीच रखती थीं न ,वो स्वाद कहीं नहीं आता। माँ !!उस गीले पराठे को खाने के लिए ही हम एक दूसरे के पीछे भागते थे। माँ !! आपको लाख -लाख शुक्रिया। ध्यान रखना माँ !! लव यू।
रेनू शर्मा
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