शव यात्रा
पचपन बरस की
पूर्व संध्या पर ,
अनायास ही ,अहसास हुआ
उसके भीतर ,कुछ
टूट -फूट हुई है।
अंतरतम में ,कम्पन सा
होता हुआ लगा ,मानो
कुछ चटक कर बिखर गया हो ,
उसको लगा ,कोई बलात
वस्त्रापहरण कर जिस्म को ,
नोचकर किनारे फैंक गया है।
जैसे ,किसी ने कह दिया हो ,
अब ,तुम्हारा कोई काम नहीं ,
अभी तक ,बर्दास्त किया जा
रहा था ,कुछ वदन से छीलकर ,
उड़ा ,दिया गया हो ,वो
शायद ,औरत की रूह थी।
एक दिन जिसे देखकर खुश हुई ,
अचानक विषाद भर गया हो।
कैसे ,किसी औरत की परतें
उतारी जाती हैं ,समझ पाई।
जिंदगी भर वजूद के लिए ,
तरसती स्त्री ,न पति अपना
और न माँ का घर बचा।
जिंदगी हवन करने के बाद ,
बस यूँ ही ,राख सी बिखर गई।
पचपन बरस लग गए ,बस इतनी सी
बात समझने में ,
ये ,शवयात्रा बड़ी लम्बी रही।
रेनू शर्मा
पचपन बरस की
पूर्व संध्या पर ,
अनायास ही ,अहसास हुआ
उसके भीतर ,कुछ
टूट -फूट हुई है।
अंतरतम में ,कम्पन सा
होता हुआ लगा ,मानो
कुछ चटक कर बिखर गया हो ,
उसको लगा ,कोई बलात
वस्त्रापहरण कर जिस्म को ,
नोचकर किनारे फैंक गया है।
जैसे ,किसी ने कह दिया हो ,
अब ,तुम्हारा कोई काम नहीं ,
अभी तक ,बर्दास्त किया जा
रहा था ,कुछ वदन से छीलकर ,
उड़ा ,दिया गया हो ,वो
शायद ,औरत की रूह थी।
एक दिन जिसे देखकर खुश हुई ,
अचानक विषाद भर गया हो।
कैसे ,किसी औरत की परतें
उतारी जाती हैं ,समझ पाई।
जिंदगी भर वजूद के लिए ,
तरसती स्त्री ,न पति अपना
और न माँ का घर बचा।
जिंदगी हवन करने के बाद ,
बस यूँ ही ,राख सी बिखर गई।
पचपन बरस लग गए ,बस इतनी सी
बात समझने में ,
ये ,शवयात्रा बड़ी लम्बी रही।
रेनू शर्मा
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