गिफ्ट का जादू
विद्द्या ने घर का काम जल्दी पुरे करने की आदत डाल ली है ,सभी सोचते हैं घर में क्या काम होते हैं ,विशेषकर पुरुष। विद्द्या जैसे करो तो जानो ,कपडे धोना ,सुखाना ,खाना बनाना ,सफाई ,प्रेस करना ,बाथ रूम सफाई जाने क्या -क्या काम करने होते हैं। इसी बीच दरवाजे की घंटी बजे तो देखो कौन है ? हद होती है किसी काम की। उसके बाद भी विद्द्या ने चादर पर कढ़ाई का काम शुरू किया है ,दस दिन से लगी है। पड़ोस वाली रोमा चली आती है ,क्या करती रहती हो दीदी ! मुझे भी सिखा दो ,हाँ क्यों नहीं।
दीदी ! मेरी सास तो हर काम पर नुक्स निकालती रहती है ,झाड़ू यहाँ नहीं रखनी ,रोमा ! साबुन लम्बा रखना है ,रसोई को सुखा दे। पुरे दिन यही खटराग करवाती रहती है। अरे ! छोड़ सब ,मेरी माँ भी यही करती थी जब ,किसी काम पर लग जाओ तो ,कुछ खटराग नहीं ध्यान रहते। अपने में मस्त रहो। तू ,चाहे तो धागे और प्लेन चादर मंगा ले फिर शुरू हो जा। कम पड़े तो मुझसे लेना। लेकिन दीदी !! चप्पल कैसे उतरनी है ये भी सिखाती है। मेरी माँ को कोसती रहती है ,तो गुस्सा नहीं आएगा ? हाँ तो ,सीख ले। उसके जैसा काम ,तभी तो समय निकाल पायेगी कढ़ाई के लिए।
दीदी ! आप तो सही हैं ,काकू सुबह निकल जाते हैं ,कुछ नहीं बोलते। सर -फुटब्बल तो हमारी होती है ,मेरे पास एक साडी है वही काढ़ लूँ क्या ? हाँ क्यों नहीं। उनके सामने न रहूंगी तो क्या दीवारों से लड़ेंगी ? बीस दिन तक रोमी ने विद्द्या के साथ कढ़ाई का काम किया और सुन्दर साडी तैयार कर ली। अरे ! रोमा एक काम कर ,इस करवा चौथ पर अपनी सास को यही साडी गिफ्ट करदे ,खुश हो जाएगी। अभी विद्द्या और रोमा अच्छी दोस्त बन गई हैं। एक हफ्ते बाद ही रोमा विद्द्या के लिए मिठाई लेकर आई ,दीदी ! आपके कारण मेरी सास खुश हुई और सभी से तारीफ करती है। अब ,मुझे चादर काढ़नी है ,अच्छा ,अब किसे खुश करना है ? दोनों हंस दी।
रेनू शर्मा
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