गृहणी
माद्री ने पढ़ाई के लिए अपने ही शहर में अर्थशास्त्र विषय लेकर कॉलेज में दाखिला ले लिया है। सुबह सब लोग मिलजुलकर टिफिन बनाते हैं ,बड़ी बहन भी जॉब करती है। मैथ्स पढाती है इण्टर स्कूल में। पढ़ाई तो जॉब के लिए ही की जा रही है लेकिन साथ में घर संभालना ,पति देखना ,बच्चे पालना सब बहुत मुश्किल होता है। माद्री ,माँ और बहन मिलकर देख लेती हैं। सुबह सब निकल जाते हैं ,सबके पास घर की चाबी रहती है।
एक दिन माद्री के पिता घर से जल्दी निकल गए ,माँ को बताया था माद्री के लिए लड़का देखा है ,आज मुलाकात है। माद्री की बड़ी बहन कात्यायनी का विवाह हो चुका है ,लेकिन ससुराल वालों से बिलकुल नहीं बनी ,न पति को समझ सकी,न सास -ससुर को। पीहर की आजादी कहीं नहीं। माँ ने बहुत समझाया लेकिन कात्या नहीं मानी। उसे बंधन में नहीं रहना ,आज देर क्यों हुई ,जल्दी क्यों जा रही हो ,फोन क्यों नहीं उठाया ? इन सवालों के उत्तर देना कात्या को कतई बर्दास्त नहीं था। माद्री अभी पढ़ना चाहती है ,लड़के से मिलना तय हुआ तो ,अनमनी सी चली तो गई लेकिन बोल दिया तुम जॉब कर सकती हो। यदि ऐसा लगे कि जॉब के बिना भी काम चल सकता है तो ,सोच लेना।
चार से पांच महीने माद्री और अंकुश फोन पर ही बात करते रहे ,क्या पता कितना समझे लेकिन ब्याह हो गया। दो बरस तक सोचती रही क्या करूँ ? गर्भवती हुई तो ,सास -ससुर ने लाड बरसाना शुरू कर दिया। माद्री ने कॉलेज में टॉप किया था लेकिन यहाँ घर भी देख रही थी। छोटी रत्ना बहुत कामचोर थी ,अभी पढ़ ही रही थी ,पिता ने गाड़ी दिला दी। माँ बोलती थी -दोनों की तरह इसे भी रहने दो लेकिन पिता ने आदतें बिगाड़ दीं। ब्याह की बात होने लगी ,साफ़ बोल देती थी कि मुझे खाना नहीं बनाना। जॉब के लिए मना हो गई ,मत करो। माँ ने खाना बनाने की विधियां एक डायरी में लिखकर दे दीं ,कुछ ही दिनों में रत्ना परफेक्ट गृहणी बन गई। जरुरी नहीं कि जॉब ही किया जाय ,पढ़ाई करना जरुरी है। गृहणी बनना भी एक जॉब है।
रेनू शर्मा
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