Sunday, July 28, 2024

फिसलन  

 ब्रह्मा के घर चार बेटे और एक बेटी ने जन्म लिया। किसान परिवार हमेशा अपनी दौलत को बच्चों की तरह  ही सहेजते हैं। बच्चे या तो शहरों का रुख कर रहे हैं ,या नौकरी करने शहरों या विदेश जा रहे हैं। ब्रह्मा के बेटे भी पढ़कर अच्छी नौकरी करने लगे। एक सेना में जॉब कर रहा है ,दूसरा नेवी में ,तीसरा बैंक में और छोटा पढ़ाई कर रहा है। जब भी कोई त्यौहार आता ,घर का आँगन फुलवारी जैसा महकने लगता। ब्रह्मा जी खेती का काम देखते थे। खेत पर ही उठक -बैठक लगाते थे। वहीँ काली राम से मालिश कराते थे। घर की जिम्मेदारी माँ देखती थी। बहुत ही खुश थे सब। 

एक बार अबध किशोर को नौकरी के काम से विदेश जाना पड़ा ,ब्याह भी अभी हुआ था तो पत्नी साथ नहीं जा सकी। सरकारी आवास बड़ा था तो ,छोटे को भाभी के पास पढ़ने को भेज दिया। जाओ तुम ,वहां रहो और घर का ध्यान भी रखना। ब्रज किशोर खुश हो गया ,नौकरों से काम करवाऊंगा ,मौज करूँगा। भाभी जवान थी ,पुरुष के रूप में देवर ही घर में था। हंसी मजाक चलता था ,धीरे -धीरे पारिवारिक बंधनों की गाँठ खुलने लगी। युवा महोत्सव चरम पर पहुँच गए। वापस आये भाई से कुछ छुपा नहीं रहा। चरित्र हनन की हवा गांव तक पहुँच गई। ब्रह्मा को लगा अभी धरती फट जाय और उसमें समां जाय। 

गांव बुलाकर छोटे की खूब धुलाई की गई लेकिन गलती तो ,दोनो तरफ से थी। समझा -बुझा कर मामला शांत हो गया। रिश्तों की गरिमा बिखरते देर नहीं लगती ,उसका असर घर के आँगन तक पड़ गया। अब ,कोई त्यौहार पर गांव नहीं आता ,साथ बैठकर मस्ती नहीं करते। शहर की हवा सभी को रास आने लगी। माता -पिता गांव से बध गए। अब ,सभी को गांव में गोबर की बास आने लगी। 

ब्रह्मा और उनकी पत्नी गुजर गए ,गांव का घर द्वार ,खेत सब बाँट लिए गए। रिश्तों के दरमियान जो फिसलन पैदा हुई थी ,वह दूसरी पीढ़ी को बट गई। ब्रज का ब्याह भी हो गया लेकिन दुल्हन कभी उसकी न हो सकी। 

रेनू शर्मा 

























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