कभी -कभी
उसकी आहट ,अकुलाहट पैदा करती है ,
अभी ,कहाँ तैयार थी मैं ,
अभी तो ,इच्छाओं ,कामनाओं का
जाल ,मुझे जकड़े है।
कभी -कभी बाट जोहती हूँ ,
कोई राग नहीं ,तमन्ना नहीं।
भरम होता है ,उसका आना हुआ होगा ?
सुनहरी सुबह फिर से जीने का
रास्ता बदलती है।
अभी ,कहाँ तैयार थी मैं ,
अभी तो ,इच्छाओं ,कामनाओं का
जाल ,मुझे जकड़े है।
कभी -कभी बाट जोहती हूँ ,
कोई राग नहीं ,तमन्ना नहीं।
भरम होता है ,उसका आना हुआ होगा ?
सुनहरी सुबह फिर से जीने का
रास्ता बदलती है।
रेनू शर्मा
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