Wednesday, July 17, 2024

कभी -कभी 

 उसकी आहट ,अकुलाहट पैदा करती है ,
अभी ,कहाँ तैयार थी मैं ,
अभी तो ,इच्छाओं ,कामनाओं का 
जाल ,मुझे जकड़े है। 
कभी -कभी बाट जोहती हूँ ,
कोई राग नहीं ,तमन्ना नहीं। 
भरम होता है ,उसका आना हुआ होगा ? 
सुनहरी सुबह फिर से जीने का 
रास्ता बदलती है। 

रेनू शर्मा 









 

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