तुलसी का बिरवां
मॉनसून की शुरुआत हो चुकी थी ,सुबह से आसमान में बादलों का जमघट लग जाता तो ,शाम तक झमाझम बारिश होने लगती थी। बिजली ऐसे कड़कती मानो यहीं -कहीं गिरेगी ,कभी लगता बेचारे पंछी क्या करते होंगे ,कभी लगता अभी पति ही ऑफिस से नहीं आये ,कहाँ फंसे होंगे ? दरवाजा खोलकर देख लेती हूँ ,कहीं कोई चिड़िया परेशान तो नहीं तभी ,पीछे टीन सेड के नीचे कबूतर और चिड़िया छिपकर बैठे दिखाई दिए ,धीरे से दरवाजा बंद कर दिया।
रसोई की खिड़की पर एक बिल्ली आकर खाना मांगने लगी है ,जब तक खाना नहीं दो जाती नहीं। दरवाजा खोलो तो तुरंत वहीँ आ जाती है ,दूध पिया और चल दीं। शाम होते ही दरवाजे के पास रखे तुलसी के बिरवे पर दिया जला देती हूँ ,कभी जब हवा चली तो दिया भीतर रख दिया। तुलसी माँ ,से प्रार्थना करती हूँ सद्बुद्धि देती रहना। लगातार बारिश से फिसलन हो रही है ,शाम पांच बजे ही ऐसा लग रहा है मानो रात घिर गई हो। तभी विहान आकर बाहर का गेट खोलते हैं ,गाड़ी स्टार्ट ही है ,छाता निकाला और गाड़ी की तरफ बढे तभी जाने क्या हुआ ? गाड़ी खुद से आगे बढ़ गई ,गाड़ी का गेट खुला था ,विहान गाड़ी बंद करना चाह रहे थे कि वहीँ फिसलकर गिर गए और गाड़ी मुड़कर बाउंड्री से टकरा गई। तब तक ,मैं बाहर थी क्योंकि विहान को गिरते देखा था।
अब ,गाड़ी स्टार्ट थी गेट बंद था ,चाबी भी अंदर थी ,भयंकर बारिश हो रही थी ,कोई पडोसी भी हमारी आवाज नहीं सुन सकता था। हम दोनो मिलकर गाड़ी पीछे ढका रहे थे लेकिन हमारा शरीर कांप रहा था इसलिए कर पा रहे थे। किसी तरह से गाड़ी बंद की। घर के भीतर आकर हम एक दूसरे से गले लग गए ,देर तक दोनो के वदन कांपते रहे। सारी रात यही सोचते निकली यदि कोई हादसा होता तो ,कोई समझ ही नहीं पाता कि क्या हुआ ?
सुबह उठकर बाहर के हालत देखे तो ,हमारी तुलसी मैया बिलकुल सूख चुकी थी ,जो कल तक लहरा रही थी। सुना था पालतू पशु -पक्षी अपने मालिक का ध्यान रखते हैं लेकिन तुलसी मैया ने विहान की जान बचा दी। तब से अभी तक मेरे पास तुलसी का पौधा कभी नहीं सूखता ,नए पौधे उगते रहते हैं। तुलसी का बिरवां हर घर में होना ही चाहिए।
रेनू शर्मा
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