टूटा दरवाजा
रामनगर की एक गली में ,पच्चीस घर बने हैं। किसी को नहीं पता वे लोग कबसे साथ रह रहे हैं। सभी धर्म -जाति के लोग प्यार और सम्मान से रहते हैं। कभी बच्चे झगड़ भी पड़ते हैं तो ,कट्टी भी होती है ,गुड़िया का खेल बंद हो जाता है ,कभी गेंद खो जाती है लेकिन त्यौहार हमेशा खुश माहौल में मनाये जाते हैं।चौधरी साब के टूटे दरवाजे के अलावा किसी के पास कोई मुद्दा भी नहीं।
बीच का घर चौधरी साब का फिर तिवारी जी ,आगे गुप्ता जी फिर असलम तांगे वाले का घर ,आस -पास सारे घरों की छतें जुडी हुई हैं। चौधरी का घर भीतर से लम्बा -चौड़ा है ,बाहर का दरवाजा दादा हीरा लाल के जमाने का है तो ,कोई हाथ नहीं लगाता। दरवाजे के पल्ले एक दूसरे पर रखे हैं ,बीच में एक झरोखा जैसा है जिसमेंसे गली के कुत्ते ,बच्चे भीतर दाखिल होते रहते हैं। दरवाजे पर कुण्डी तो है पर कभी लगी नहीं। यही कुल मिलाकर चौधरी साब की सम्पत्ति है।
चाहने पर भी रामलाल जी दरवाजे को हटा नहीं पाते ,रोज प्रणाम करते हुए निकल जाते हैं। असलम की बीबी अमीना दुखी है क्योंकि उसकी बेटी शबनम को बाप ने पढ़ने से रोक दिया है। बेटी बारह बरस की हो गई ,अब घर का काम सीखे। पर बच्चों के साथ खेलने से नहीं रोकती। गली में बच्चे हुड़दंग मचाते रहते हैं। कोई पढता है ,कोई खेलता है ,कोई मार खाता है ,कोई पतंग उड़ाता है। चौधरी साब की बेटी सुलोचना अभी बारहवीं की परीक्षा दे रही है। टूटे दरवाजे की झिरी से गली के बच्चे अमरुद खाने अंदर घुस जाते हैं।
बच्चे अंदर जाते हैं और दो घंटे बाद वापस आते हैं ,असलम ने शबनम को जाने से रोक दिया ,तुम नहीं जाओगी लेकिन अमीना चुपके से उसे जाने देती है। एक दिन चुपके से अमीना ने देखा बच्चे खेल रहे थे कभी विष -अमृत ,कभी खो -खो। सुलोचना उनकी दीदी है ,उसने कहा है यदि अमरुद खाने हैं तो ,पहले पढाई करो। सुलोचना बच्चों को पढाती भी है। बच्चों को टूटे दरवाजे की अहमियत समझ आ रही है क्योंकि अच्छे नंबर लाकर पास हो रहे हैं।
सभी बच्चे किताबें छुपाकर भीतर जाते हैं ,अब पहले जैसा शोर नहीं सुनाई देता ,सुलोचना ने मधु को भी अपने साथ जोड़ लिया है। वो भी पढ़ाती है। शबनम अपने अब्बू से छुपकर पढ़ने जाती है। दीदी ने स्कूल में नाम लिखवा दिया है बस परीक्षा देनी होगी। गली के खेल अब ,किताबों तक लौट आये हैं। बच्चों के लिए दरी बिछा दी जाती है। परीक्षा के समय बच्चों को स्कूल जाया गया। असलम को छोड़कर सभी के माता -पिता खुश थे। जब परिणाम आया सभी बच्चे पास हो गए। चौधरी साब ने मिठाई बांटी। टूटा दरवाजा अपने झरोखे से सूर्य का ऐसा प्रकाश लाया कि गली के हर घर में ज्ञान का दीप जल गया।
रेनू शर्मा
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