Monday, June 17, 2024

युद्धों का महाभारत  

 भारतीय इतिहास का महाकाल महाभारत काल था। श्री कृष्ण का समय। यूँ तो समय ,काल ,तिथि सब लिपि बद्ध हैं लेकिन भारतीयों को किस्से ,कहानियों से ज्यादा मतलब रहता है। पढ़ने पर पता चला -कृष्ण काल में हजारों युद्ध हुए ,आतताइयों का साम्रज्य बढ़ता जा रहा था ,देवता ,ब्राह्मण ,पुजारी ,ध्यानी ,योगी सब दुखी होने लगे। स्त्री जाती का मान भी कम हो रहा था। श्री कृष्ण के मामा कंस भी इसी श्रेणी में आते थे। कुछ पात्र जो शासन करते थे अपने दुर्व्यवहार के कारण बदनाम हुए। 

वही सब स्थितियां आज के युग में भी दिखाई देती हैं। पूरा यूरोप एक साथ जुड़ा है ,नाटो देश अलग ग्रुप बनाये हैं। मुस्लिम राष्ट्र अपने को एकजुट करने में लगे हैं। कोई शिया दादा है ,कोई सुन्नी बाबा है। अमेरिका ,रूस ,चीन और ब्रिटेन अपना अलग राग अलाप रहे हैं। मुझे लगता है अब ,एक कृष्ण की जरुरत है जो ,सभी को एकसूत्र में पिरो सके। 

महाभारत पढ़ते समय जो उथल -पुथल होती है ,जिस तरह की कूटनीति ,राजनीति समझ आती है तब ,लगता है कृष्ण ने ऐसा क्यों किया ?वैसा क्यों नहीं किया ? उस काल में भी जन संख्या अधिक थी ,सभी राजे -महाराजे अपनी रियासत के मालिक थे। कृष्ण ने सभी को एक लय में पिरोया। तब ,अहम् और सम्पदा पाने की लड़ाइयां अधिक थीं। आज भी पुतिन ने जेलेंस्की को नाच नचा रखा है। यहाँ भी जनता भुगत रही है। राजा तो ,सुरक्षित सुरंग में बैठा होता है। 

आपातकाल में कौन किसका साथ निभाएगा ,यही देखा जा रहा है। कृष्ण के समय तेल जैसा कोई रसायन नहीं था वरना स्थितियां कुछ और होतीं। कृष्ण ने सभी राजे लोगों को एक कर राष्ट्र निर्माण की भूमि तैयार कर ली थी। जब ,महाभारत युद्ध हुआ तो ,दोनो ओर से हजारों सैनिक राजा के नाम पर बलि चढ़ गए। वे शायद शहीद भी नहीं माने गए। क्या पृथ्वी मानव विहीन हुई ? नहीं। उसके बाद भी पांडवों ने राज किया। 

कहीं तेल की ,कहीं खाने की मारा -मारी है ,कहीं पानी की किल्लत है ,कहीं हथियार ख़तम हो गए ,अजीब जरूरतें हैं। कुछ देश इसी बात का व्यवसाय कर रहे हैं। चलो बताओ -क्या चाहिए ? खरीदो ,बेचो का सिलसिला जारी है। छोटे देशों को आपस में लडाकर शतरंज जैसा खेला जा रहा है। पश्चिम के झंडे बर्फ में दब रहे हैं ,तेल नहीं तो ,कुछ भी नहीं। सनकी लोग तो रोज कभी समुद्र में तो ,कभी जमीन पर बह्मास्त्र दाग रहे हैं। 

महाभारत काल में जिन अस्त्र -शस्त्रों का प्रयोग वे लोग कर रहे थे,  आज वही सब देखने  रहा है। धरती की बात छोडो ,अंतरिक्ष में घमासान मची है। प्राचीन देवता जैसे अगस्त्य ,बृहस्पति जैसे लोग अपनी अलग दुनिया बना सकते थे। वैसे ही आज के लोग सेटेलाइट को अंतरिक्ष में स्थापित कर कभी भी नष्ट भी कर सकते हैं। महर्षि शुक्राचार्य ही मृत व्यक्ति को जीवित कर सकते थे ,आज शोध जारी है। एलियंस को नकारा नहीं जा सकता। मुनियों ने पूरे ब्रह्माण्ड की गणना कर शास्त्रों में वर्णित किया है जो साइंस आज भी खोज रही है। 

आज का युद्ध शुद्ध रूप से विज्ञान पर आधारित है। एक बटन के दबने से खेल ख़त्म  ,इस  ब्रह्मास्त्र को वापस नहीं किया जा सकता। दिशा बदल सकते हैं। अर्जुन का रूप भी आ गया है ,पूरा आसमान लाल ,पीला या बैगनी हो  जाता है। चीन ने गलवान घाटी में अचानक हमला किया ,हथियार न हों तब ,क्या करें ? पत्थर से युद्ध हुआ। पृथ्वी को हमसे क्या चाहिए? किसी को कोई परवाह नहीं। रिसर्च के नाम पर पृथ्वी को नोचा जा  रहा है। सभी युद्ध -युद्ध खेल रहे हैं। क्यों न हम लोग रात को खुले में सोते हुए तारे देखना शुरू करें। किस्से -कहानियां सुनें। 

रेनू शर्मा 






 

















































  

   


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