स्पेस
घने बादलों के ऊपर कहीं दूर
कड़कड़ाती बिजली की
तीव्र चमक ,तेज हवाओं का
सैलाव ,हमें कहीं दूर ,
ले जाना चाहता है।
डग -मग होते से हम ,
अंतरिक्ष में भटक गए से
लगते हैं। पक्षी सा वायुयान
रास्ता भूल गया सा लगता है।
दूर छितिज में ,समां रहे हैं हम ,
आकाश तारों से भरा है ,
पृथ्वी से दूर ,वीराने की यात्रा
एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर ,
निर्बाध चल रही है ,पृथ्वी की प्रकृति
अनंत में विराजित है।
तारों के पार स्पेस ही ,
नया घर सा लग रहा है।
रेनू शर्मा
कड़कड़ाती बिजली की
तीव्र चमक ,तेज हवाओं का
सैलाव ,हमें कहीं दूर ,
ले जाना चाहता है।
डग -मग होते से हम ,
अंतरिक्ष में भटक गए से
लगते हैं। पक्षी सा वायुयान
रास्ता भूल गया सा लगता है।
दूर छितिज में ,समां रहे हैं हम ,
आकाश तारों से भरा है ,
पृथ्वी से दूर ,वीराने की यात्रा
एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर ,
निर्बाध चल रही है ,पृथ्वी की प्रकृति
अनंत में विराजित है।
तारों के पार स्पेस ही ,
नया घर सा लग रहा है।
रेनू शर्मा
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