तू अब ,न आएगा
गुलताई दिन रात अपने काम करती रहती है ,नाम तो गुलवदन है लेकिन ताई होने के कारण गुलताई ही नाम हो गया। दुनिया भर के लोग गुल के लिए अपने हैं ,गांव की पंचायत पर कोई आवे तो भैया ,बेटा ,बिटिया ,बहन सारे रिश्ते ही बन जाते हैं। उनका बेटा सूरज माँ का मजाक उड़ाते हुए कह देता है -मुझे छोड़कर सब माँ के बच्चे हैं। अरे ! तुम क्या समझो सभी को एक नजर से देखने का सुख क्या होता है ?कोई ऊंच -नीच नहीं ,छोटा -बड़ा नहीं। वो तो ठीक है अम्मा !!पर वो सब्जी बेचने वाला तेरा बेटा ख़राब बैगन दे गया ,उसका क्या ?
गुलताई हंस जाती है ,कोई बात नहीं वो भी ,सुधर जायेगा। फिर सूरज को आवाज लगाती है ,सूरजवा !!आ तो जरा ,सर दवा दे या गोली देदे। अम्मा ! अपने धोखेवाज बच्चों को बुला न ,यही मसखरी चलती रहती है ,गुलताई कभी हार नहीं मानती। गुलताई की बहन की बेटी माया को पहला बच्चा होने को है तो ,गांव आना चाहती है ,गुलताई के पास रहेगी ,पास ही अस्पताल है तो माया का पति भी वहीँ आ जायेगा। अभी समय है फिर भी गुलताई कभी कमरा तैयार करती है ,कभी गौरी गाय के पास जाकर बोलती है ,दूध मत बंद कर देना ,अपनी माया आ रही है।
आज नाइन को खबर भिजवा दी है ,कहीं चली मत जाना। माया का पति सनकी वकील है ,कभी भी सनक जाता है ,जब माया को लेकर आया तभी गुलताई से भीड़ गया ,ध्यान रखना माया का। अरे ! क्यों लाया फिर यहाँ ? सूरज बीच में आ गया अरे ! जीजा तुम माँ से मत उलझो ,सब गड़बड़ हो जायेगा। वकील वापस चला गया ,ससुराल की ताजपोशी अच्छी ना लग रही वकील को ,ताई ने मन हल्का किया। माया तू कैसे झेले ,ऐसे पति को ? वैसे तो ठीक है ,पर कभी सनक जाता है।
अभी आठ दिन भी नहीं बीते ,वकील आ धमका ,चल माया बच्चा शहर में ही होगा। तेरी दारी ये मारुं ,गुलताई हड़क गई ,जा बाबरे को होश नाय ,जा बखत छोरी कहाँ जाएगी ? हम तो सब ,तैयारी करे बैठे हैं ,जे वकील पगलाय गयो ,सूरज जाय विदा कर। बड़ी मुश्किल से मामला सुलझ पाया। चौथे दिन अस्पताल जाकर बेटी को जन्म दिया। तीन दिन रहकर घर आ गई। पूरा घर व्यस्त हो गया ,वकील घर नहीं आया। पंद्रह दिन तक माया गांव में रही ,गुलताई अपना सब कुछ भूलकर छोटी सी जान के साथ खुश थी ,गांव भर में मिठाई बांटी गई।
वकील आया और माया को ले गया। गुलताई सूनी आँखों से देहरी के पार देखती रहती है कब ,सूरज बड़ा होगा ,कब शादी होगी और गुल काम पर लग जाएगी। बेटे ने आकर बता दिया माँ !! शहर पढ़ने जाना है ,माँ बेटे को कुछ पाई ,जाने की तैयारी करने लगी। माँ को गले लगाकर बेटा कह तो रहा था ,माँ जल्दी आता हूँ ,पर गुलताई जानती है तू अब न आएगा।
रेनू शर्मा
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