हम चलते हैं
शाम की चाय पीकर कप रखा ही था कि लक्ष्मी का फोन आ गया ,एक घंटा तो बातों में जायेगा ही ,सुनो नैना !! डॉक्टर से पूछो -मेरे हाथ में दर्द है ,क्यों हुआ ? बताना फिर ,क्या दवा लूँ ? जब ,मामाजी थे तब ,कभी इतनी बीमारी नहीं होती थी ,अब हर दूसरे दिन तकलीफ होती है लक्ष्मी को। हम लोग हमेशा मिलते थे और अधिकांश शाम साथ ही गुजारते थे।कभी वहां से शिकायतें होती थीं ,कभी हम लोग शुरू होते थे। कुछ दिनों तक मामाजी नहीं आये ,हम उन्हें प्यार से मामाजी कहते थे। एक दिन पता चला उन्हें हार्ट अटैक हुआ है और मामाजी नहीं रहे।
बहु के साथ लक्ष्मी जी निभा नहीं पा रही हैं ,हर कभी बहु की कमियां गिनती ही रहती। मामाजी के बाद तो ,रसोई में जाना भी बंद है। कोई काम ही नहीं है। कई बार समझाया अपना ध्यान पूजा -पाठ में लगाया करो ,तो नहीं होता। बेटी के पास जाना उनके नियम के खिलाफ था। जब बेटी मिलने आई तो उसके साथ लक्ष्मी चली गई। अब ,कभी यहाँ ,कभी वहां का सिलसिला शुरू हो गया।
एक दिन पता चला लक्ष्मी जी बीमार हैं ,अस्पताल में भर्ती हैं ,सोचा मिल लेते हैं। आई सी यू में ही चली गई ,देखा तो मूर्छित सी थी ,नमस्ते का जबाव दिया ,न बोलते हुए भी सारी शिकायतें उन्होंने की ,उनकी आँखों से ही सब सुनाई दे रहा था ,मैं ,उनका चेहरा देखती रह गई। अभी भी जाने की कोई इच्छा नहीं थी उनके भाव थे ,मुझे बचा लो। मैं ,अब चलती हूँ बोलकर बाहर आ गई। दूसरे दिन लक्ष्मी चली गई।
रेनू शर्मा
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