Saturday, June 15, 2024

सीख रही थी  

  कैसे ,किसी अपने को ,  
 खुशियों में आमंत्रित किया जाता है।
 कैसे आने वाले को पलकें बिछाकर ,
दिल में उतारा जाता है। 
रिश्तों ,नातों ,शिष्यों के बीच ,
सेतु बना ,संगम बनाया जाता है ,
कैसे ,शिष्ट ,विशिष्ट ,ईष्ट को 
बाँहों का सहारा दे ,
सामानांतर किया जाता है। 
कैसे , भाव ,संवेदना ,पीड़ा ,कष्ट को 
एकरस कर सरस बनाया जाता है। 
कैसे ,उत्साहित ,अचम्भित ,भर्मित 
मोहित ,सम्मोहित को साक्षी कर ,
इतिहास रचा जाता है ,कैसे 
संन्यास धारण कर ,योग वरन कर ,
गृहस्थ को जड़ -चेतन का पाठ 
पढ़ाया जाता है। सीख रही हूँ मैं। 
रेनू शर्मा 























    

 

No comments: