सीख रही थी
कैसे ,किसी अपने को ,
खुशियों में आमंत्रित किया जाता है।
कैसे आने वाले को पलकें बिछाकर ,
दिल में उतारा जाता है।
रिश्तों ,नातों ,शिष्यों के बीच ,
सेतु बना ,संगम बनाया जाता है ,
कैसे ,शिष्ट ,विशिष्ट ,ईष्ट को
बाँहों का सहारा दे ,
सामानांतर किया जाता है।
कैसे , भाव ,संवेदना ,पीड़ा ,कष्ट को
एकरस कर सरस बनाया जाता है।
कैसे ,उत्साहित ,अचम्भित ,भर्मित
मोहित ,सम्मोहित को साक्षी कर ,
इतिहास रचा जाता है ,कैसे
संन्यास धारण कर ,योग वरन कर ,
गृहस्थ को जड़ -चेतन का पाठ
पढ़ाया जाता है। सीख रही हूँ मैं।
रेनू शर्मा
खुशियों में आमंत्रित किया जाता है।
कैसे आने वाले को पलकें बिछाकर ,
दिल में उतारा जाता है।
रिश्तों ,नातों ,शिष्यों के बीच ,
सेतु बना ,संगम बनाया जाता है ,
कैसे ,शिष्ट ,विशिष्ट ,ईष्ट को
बाँहों का सहारा दे ,
सामानांतर किया जाता है।
कैसे , भाव ,संवेदना ,पीड़ा ,कष्ट को
एकरस कर सरस बनाया जाता है।
कैसे ,उत्साहित ,अचम्भित ,भर्मित
मोहित ,सम्मोहित को साक्षी कर ,
इतिहास रचा जाता है ,कैसे
संन्यास धारण कर ,योग वरन कर ,
गृहस्थ को जड़ -चेतन का पाठ
पढ़ाया जाता है। सीख रही हूँ मैं।
रेनू शर्मा
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