Saturday, June 29, 2024

शीघ्रता न करें   

 अनुराधा सुबह से घर के काम करवाती रहती है ,कभी मसाले धूप में सूखते हैं ,कभी कपडे। जया हफ्ते में दो दिन ही घर पर दिखती है। पूरा दिन कॉलेज में ही निकल जाता है। अनु के पति शील को किसी मामले से कोई मतलब नहीं है। जब ,देखो शहर भर में घूमते रहते हैं। रिया अनु की सखी है आज बहुत दिनों बाद अनु से मिलने आई है ,अरे ! रिया आज चाँद कैसे दिखा ? कुछ नहीं याद आ रही थी तो ,आ गई। चाय के साथ उनकी गप्पें भी चल रही थीं। 

 सभी लोग खाना खा रहे थे तभी ,जया अपने चार पांच दोस्तों के साथ घर आ गई ,बिना मन के सभी का परिचय कराया। ऊपर जाते हुए बोल रही थी हम साथ में पढ़ाई करते हैं मौसी। अनु उनके लिए भी खाना लगवाती है। रिया एक घंटे बाद चली जाती है। जया के दोस्त अक्सर घर आने लगे हैं। कभी वे लोग फिल्म देखने जाते हैं ,कभी घूमने जाते हैं। दो बरस से यही चल रहा है। 

अनु दोस्त के घर जाती है ,सोचती है कि रिया से ही बात करती हूँ क्योंकि जया ने गौरव से शादी करने का मन बना लिया है। रिया कुछ समझते हुए भी ,अपना सुझाव नहीं देती क्योकि उसे पता है आजकल बच्चे किसी की नहीं सुनते ,अनु तो मन बना चुकी है कि शादी करनी है ,तो क्या मतलब अपनी राय देने का। अनु को बधाई देते हुए बात ख़तम ही कर दी। अनु शादी की तैयारियों में लग गई। अनु के भाई ने बोला भी था कि जब लड़का जॉब नहीं करता तो ,विवाह की क्या जल्दी ? लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। अनु को तो ,बस लड़की की जिद पूरी करनी थी। 

ससुराल जाकर जया को असली घर -गिरहस्थी का पता चला ,जब पति जॉब न करता हो तो,कितने भी अच्छे माता -पिता दुखी होने लगते हैं। जया ने पहले दिन से ही निश्चय किया था कि जॉब करेगी और दूसरे शहर जाएगी ,जब लड़ाई -झगड़ा बढ़ने लगा तब ,एक दिन जया ने सामान समेटा और चली गई ,बम्बई जाकर पति को भी बुला लिया। कुछ महीनों बाद गौरव को भी जॉब मिल गया। पति के भीतर की कसक कि ये मेरे माता -पिता को तबज्जो नहीं देती उसे खटकने लगा। 

शामें शहर की चकाचौंध में गुजरने लगीं ,पुराने दोस्त भी मिल गए और गौरव की पार्टियां शुरू हो गईं। आये दिन झगडे होने लगे। जया अब ,किससे शिकायत करे ? मार -पीट की भी नौबत आ गई। माँ को सब बताना पड़ा। बहुत सोचने के बाद सम्बन्ध -विच्छेद का निर्णय लिया गया। जया ऑफिस में किसी से बात भी करती तो ,शक करने लगा गौरव। एक रात झगडे के बाद जया हमेशा के लिए माँ के पास आ गई। रिया को पता चला तो ,बहुत दुःख हुआ। अनु शायद अब ,समझ पाई है कि जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। 

रेनू शर्मा 



































 

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