Tuesday, June 18, 2024

तड़ीपार 

  ये कहानी एक ऐसे दम्पत्ति की है ,जो अभी ही दाम्पत्य बंधन में बंधे हैं। रिया के लिए बंधन शब्द सही लगता है क्योंकि विवाह पूर्व उसने कभी  सोचा भी न था कि पति नाम के प्राणी की अजीब आदतों या इच्छाओं का उसे बंधक बनना पड़ेगा। जब ,विधान से रिश्ता तय हुआ तो उसे लगा कुछ मैं ,मानूंगी तो कुछ बातें वो भी तो मानेगा ? लेकिन सोचने और असल जिंदगी में बहुत अंतर होता है।  धूमकेतु जैसे रिश्ते एक लम्बी पूंछ बनाके आपके इर्द -गिर्द मंडराते रहते हैं। वे लोग खुशियां कम अड़चनें ज्यादा देते हैं। इन्हीं में से कोई एक जीवन के कटु सत्य से अवगत कराते हैं। 

रिया दो बच्चों की माँ भी बन गई थी ,बच्चे हर पल अहसास कराते हैं कि यार !! पहले हम क्यों नहीं सोचते कि गलती कर रहे हैं। बड़े अजीब होते हैं ये दम्पत्ति। सरकारी जॉब करने वाला पति तो ,पहले पंद्रह दिनों में ही वेतन से हाथ धो बैठता है। कुछ बरस बाद ही पढाई का सिलसिला शुरू होता है ,उस समय माता -पिता भूल ही जाते हैं कि वे भी जी रहे हैं। पति विधान तो दोस्तों के साथ पार्टी मनाने का विधान बना ही लेता है। नौक -झौंक चलती  रहती है ,इसका मतलब है कि रिश्ता अभी जिन्दा है। वो बात अलग है कि विधान लड़कियों का दीवाना रहता है। बड़ी साफ़ -गोई से बच भी जाता है। 

रिया का सिद्धांत है दाल -रोटी खाओ और शांति से जीवन गुजारो। विधान एक विद्वान ,नेकदिल इंसान है। बेटा चंडीगढ़ जॉब करने चला गया ,बेटी पढ़ रही है। दो बरस पहले ही बता दिया था इस लड़की से शादी करूँगा। विवाह भी हो गया वे लोग लन्दन चले गए। बेटी की भी शादी हो गई है। रिया फिर सोच नहीं प् रही जब ,बंधन मुक्त होते हैं तब ,कैसा लगता है। रिया को लगने लगा है कोई यूँ ही पास आकर पूछ ले ,चाय पीनी है क्या ? कुछ चाहिए क्या ? अजीब सा खालीपन आ रहा है। छोटी -छोटी ख्वाहिशें पीछा ही नहीं छोड़तीं। 

विधान अब रिटायर हो चुके हैं लेकिन जॉब  कर रहे हैं। रिया गाड़ी में स्टेयरिंग सी उनके साथ घूमती रहती है। जब घर की दीवारों के बीच अकेली बातें करती है तब ,सोचती है मानो उसे ही तड़ीपार किया गया है। विधान थोड़ा बदल गया है ,न जाने कब जीवन की शाम हो जाए। रिया अब एकांत के कोलाहल का आनंद ले रही है। 

रेनू शर्मा 

























 

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