स्त्री
चिथड़े में पैबंद सी ,
हर बार ,सिल दी जाती है।
कभी ,भोंथरी सुई से
टांकी जाती है ,
गुदड़ी सी बिछ जाती है।
कभी ,सलवटों में सिमट गई
गंध सी ,सड़ उठती है ,कभी
चौराहे पर चमकती ,
लाल बत्ती सी औरत ,
हर बार ,कोसी जाती है।
रेनू शर्मा
हर बार ,सिल दी जाती है।
कभी ,भोंथरी सुई से
टांकी जाती है ,
गुदड़ी सी बिछ जाती है।
कभी ,सलवटों में सिमट गई
गंध सी ,सड़ उठती है ,कभी
चौराहे पर चमकती ,
लाल बत्ती सी औरत ,
हर बार ,कोसी जाती है।
रेनू शर्मा
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