Sunday, June 9, 2024

सन्नाटे में चिंगारी 

  बाबा जब भी खेत से घर आते और सब लोग अपने काम में व्यस्त रहते तो ,जरूर बोलते -इतना सन्नाटा क्यों है ,क्या घर में कोई नहीं ? तब काम छोड़कर सभी बाहर आते ,बाबा को अपना मुखड़ा दिखा जाते। क्या बाबा !! जरा इंतजार किया करो ,पढ़ रहे हैं तो ,समय लगेगा उठने में ,अरे !कभी तो मुझे बाप जैसा फील करा दिया करो। क्या सब्जी लाये आज ?वही कद्दू ,बैगन तुड़वा लिए ,कल ही तो बनाया है माँ ने ,आज फिर। 

वीर कमरे से बाहर आया ,बाबा ! अब विश्व युद्ध होने वाला है ,पूरी दुनिया पगला रही है ,कोई हथियार बेच रहा है ,कोई जहाज ,कोई बम। बाबा ! आँगन में चारपाई पर बैठते हुए बोले -जा बेटा चाय लेकर आ। मैं ,तो खेत पर रहता हूँ सब और हरियाली है ,कभी खेत में पानी लगता है कभी किसी और के खेत में। तेरी माँ रोटी भेज देती है तो ,हम सब मिलकर खा लेते हैं। हमें क्या मतलब ,विश्व युद्ध से। बाबा ,कोई बम फोड़ दे तो ,फरक पड़ेगा कि नहीं ?जहाँ लड़ रहे हैं वहां ,लोगों के क्या हाल हैं ,आपको नहीं पता। पानी को भी तरस रहे हैं। 

तुम दुखी मत हो लाला ! धरती मैया बड़ी ,पावन है। जहाँ देखो ,वहां हरियाली है। वीरा अपनी पढाई पर ध्यान दे ,माँ !मुझे भी चाय देना। ये भी पढाई का हिस्सा है बाबा ,सब देखना पड़ता है। माँ पूछ बैठी -क्या चल रहा है ?कुछ नहीं जैसे अपने पडोसी आपस में लड़ जाय ,वही दुनिया के देश कर रहे हैं। एक दूसरे को उकसा रहे हैं। माँ ! तुम तो खाना बनाओ ,भूख लगी है। चल ,गुल्ला खाना लगवा दे ,माँ रसोई की तरफ चली गई। 

माँ ! वीरा को बुलाने कमरे तक आ गई ,चल खाना खा ले ,देखो माँ -कितने बम बरस रहे हैं लेकिन बेटा !! अपने जहाँ तो ,बड़ो सन्नाटो है ,माँ ,अपने परिवार तक सीमित है। उसे कोई मतलब नहीं कौन लड़ रहा है ,कौन नहीं। 

रेनू शर्मा 






























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