Thursday, June 13, 2024

तरस   

आठ बजे घंटी बजी ,
       एक युवा ही था।
 दरवाजा नहीं खोला।
 वहीँ से बताओ ,क्या काम है ?
मैडम !!थाने से आया हूँ 
वेरिफिकेशन करना है। 
हाँ ,बोलिये -अपना और
 साब का नंबर बताइये।
 जाली के पार से वार्तालाप 
जारी थे ,उसने नंबर लगा दिया ,
साहब !बाहर खड़ा हूँ ,
साइन कैसे कराऊँ ?अब ,
फोन अंदर बजा ,अंदर बिठाओ 
जो बोले वो कागज दिखाओ ,
सोफे पर बैठा ,पूछ रहा था ,
अकेली रहती हो ,क्या 
आज -कल के बच्चे भी न 
क्यों इतना दर्द ले रहीं हैं ,
इस उम्र में ,हम जा रहे हैं ,
दरवाजा बंद कर लीजिये। 
उस दिन लगा ,सही तो कहा 
मैं ,नितांत अकेली हूँ ,
ध्यान -आराधना भी तो 
संयमित होती है। 
अजीब सिरफिरा था ,
अभी तक मैं ,व्यस्त थी 
आकर अकेला कर गया। 
रेनू शर्मा 
































 

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