सरहदें
सरहदें सख्त पहरे में हैं ,
कदम -दर -कदम
जवानों के कदम ,
ताल ,लयवद्ध हो संगीत सा
सुनाते हैं। उनकी आँखें
सीमा पार ,
हवाओं की हल -चल भी
पढ़ लेती हैं।
घर आये अतिथि
गली के मोड़ पर ,
तमंचा लहराते हैं।
कचरे की गठरी सी
उनकी लाशें दगाबाजी
बयान करती हैं। अब ,
शांति का बिगुल बज गया है।
चिराग रौशन हो रहे हैं।
सरहदें महफूज हैं ,
वीरों का पहरा घना है।
रेनू शर्मा
कदम -दर -कदम
जवानों के कदम ,
ताल ,लयवद्ध हो संगीत सा
सुनाते हैं। उनकी आँखें
सीमा पार ,
हवाओं की हल -चल भी
पढ़ लेती हैं।
घर आये अतिथि
गली के मोड़ पर ,
तमंचा लहराते हैं।
कचरे की गठरी सी
उनकी लाशें दगाबाजी
बयान करती हैं। अब ,
शांति का बिगुल बज गया है।
चिराग रौशन हो रहे हैं।
सरहदें महफूज हैं ,
वीरों का पहरा घना है।
रेनू शर्मा
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