Saturday, June 22, 2024

सरहदें  

 सरहदें सख्त पहरे में हैं ,
कदम -दर -कदम 
जवानों के कदम ,
ताल ,लयवद्ध हो संगीत सा 
सुनाते हैं। उनकी आँखें 
सीमा पार ,
हवाओं की हल -चल भी 
पढ़ लेती हैं। 
घर आये अतिथि 
गली के मोड़ पर ,
तमंचा लहराते हैं। 
कचरे की गठरी सी 
उनकी लाशें दगाबाजी 
बयान करती हैं। अब ,
शांति का बिगुल बज गया है। 
चिराग रौशन हो रहे हैं। 
सरहदें महफूज हैं ,
वीरों का पहरा घना है। 
रेनू शर्मा 














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