जाने क्यों
गांव की भीनी खुशबू में
अब ,शहर की महक
आती है ,घड़े का पानी
बोतल में बंद बिकता है।
चिलचलाती धूप में जब ,
चक्कन और ताश की
बाजी चलती थी ,
अब ,सास बहु के ड्रामा
और वीडियो चलते हैं।
बरगद की छाँव तले जब ,
मल्हार ,फाग ,आल्हा -उदल
के दीवाने ,रमते थे।
अब ,सिनेमाघरों में
अंग्रेजी साहित्य गर्माता है।
चांदनी रात में ,नीले
आकाश तले ,जब तारों से
बातें होती थीं।
ग्रहों पर बसेरा बनता था।
अब ,रात की खुमारी में ,
सपनों को कोसता है
इंसान जाने क्यों ?
रेनू शर्मा
अब ,शहर की महक
आती है ,घड़े का पानी
बोतल में बंद बिकता है।
चिलचलाती धूप में जब ,
चक्कन और ताश की
बाजी चलती थी ,
अब ,सास बहु के ड्रामा
और वीडियो चलते हैं।
बरगद की छाँव तले जब ,
मल्हार ,फाग ,आल्हा -उदल
के दीवाने ,रमते थे।
अब ,सिनेमाघरों में
अंग्रेजी साहित्य गर्माता है।
चांदनी रात में ,नीले
आकाश तले ,जब तारों से
बातें होती थीं।
ग्रहों पर बसेरा बनता था।
अब ,रात की खुमारी में ,
सपनों को कोसता है
इंसान जाने क्यों ?
रेनू शर्मा
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