साहब
साहब की दिनचर्या कोई आसान नहीं है ,कभी सुबह चार बजे उठना ,कभी पांच बजे। आज साब दस बजे आने वाले हैं तो ,ऑफिस में मिलने का इरादा पक्का है ,उन्हें नहीं पता उनके अधीनस्त कर्मचारी दस बजे ही आते हैं। साब यदि पुलिस बिभाग में हों तो ,उनकी शब्दावली बड़ी अनूठी हो जाती है। छोटों को डांटने का अंदाज ही बदल जाता है।
अभी साब ऑफिस की ईमारत में प्रवेश कर ही रहे हैं तभी ,चौकीदार दौड़ पड़ता है अरे !! आज साब तो जल्दी आ गए ,लिफ्ट का बटन दवाता है ,नमस्कार साब !! क्यों बे रमेश !! कैसा है ?ठीक हूँ साब ,ऊपर देखते हैं दीना स्टूल पर बैठा है ,उठ जाता है। ऑफिस क्यों नहीं खोला ? साब ,बनवारी सफाई कर रहा है ,साब ! दनदनाते हुए अंदर जाते हैं ,बनवारी जाने को होता है तभी ,साब ! बोल पड़ते हैं -जा देख ,कौन -कौन आया ? जी साब।
आरक्षण की बंशी जब से बजी है ,नालायक लोगों की भरमार हो गई है ,कोई काम नहीं करना चाहता। तभी ,एकाउंटेंट वहां से निकला ,साब !! नमस्कार ,तीन पुलिस वाले बैठे हैं। अरे ! सुनो -वो शर्मा आया क्या ?जी सर ,बुला जरा। सभी लोग अपने काम में लग गए ,कोई टेबल साफ़ कर रहा है ,कोई फ़ाइल जमा रहा है। क्यों भाई शर्मा ! तुम कैसे हेंडिल करते हो ,सरकार को काम चाहिए। कैलाश को भेजो ,जी साब।
कैलाश साब का चपरासी है ,ग्यारह बजे तक नहीं आया ,बिहारी जा पानी ला और चाय बोल दे ,जी साब। अभी घर से ही आ रहे हैं सभी तो ,डायनिंग टेबल पर खाना रख देते हैं। कोई गैस बुक करवाने लगता है। शर्मा आकर सीधे बोलता है -साब मैं समय से आता हूँ ,कोई फ़ाइल पेंडिंग नहीं है। ठीक है जा भाई। कैलाश चाय लाता हुआ भीतर घुसा ,क्यों रे ! तेरे बाप का ऑफिस है क्या ?साब माँ बीमार थी ,तेरी माँ कितनी बार बीमार होती है ?साब ,क्या करूँ ? ऐसी चालू कर ,जा देख स्टेनो आई कि नहीं ?तभी दरवाजे से चटक -मटक करती ,परफ्यूम की सुगंध बिखराती शीला अंदर आ गई ,नमस्कार साब !सॉरी सर ,आज बच्चे को स्कूल छोड़ने गई थी तो देर हो गई ,चलो लेटर बनाओ ,काम करना नहीं है ,आ जाती हैं ऑफिस। न घर संभालता न ऑफिस।
एक सरकारी खत लिखवा कर साब का सिर भरी हो गया ,जा रे कैलाश ! पुलिस वाले को बुला -सर नमस्कार !! मैं , राम सिंह थाने से आया हूँ ,२४० नंबर केस के बारे में कुछ तथ्य जानना थे ,सर रिपोर्ट नहीं मिली ,तुम लोग हमें क्या कोल्हू का बैल समझते हो ? आज डॉक्टर जैन नहीं आये हैं। कल आना ,जी सर। साब उठकर डायनिंग एरिया का भर्मण कर आते हैं। क्यों ! आज कोई आता क्यों नहीं ? घीरे से सब लोग वहीँ आने लगते हैं। क्यों जी !! आजकल सब देर से आते हैं ? नहीं जी सा ,टाइम से आते हैं। गणपत क्या हो रहा है ? साब चटनी बना रहा हूँ ,फिर लगता हूँ खाना ,ठीक है।
तभी, साब के परम मित्र वहीँ पधार जाते हैं। यहाँ कैसे ? कुछ नहीं व्यवस्था देख रहा था ,चलो कमरे में ,देर तक हंसी -मजाक का सील सिला चलता रहता है ,ठहाकों की आवाज पुरे ऑफिस में गूँज जाती है। गणपत चाय के लिए पूछता है लेकिन खाना लगाने को बोला जाता है। सभी के टिफिन खुल जाते हैं। तरह -तरह की सब्जियां ,अचार ,चटनी सभी लोग बांटकर खाते हैं। क्यों गुप्ता !! तुम्हारी बीवी सिर्फ करेला ही बनाती है क्या ? नहीं सर ,सब बनता है। चल गणपत !कढ़ी गरम कर ,सभी लोग खाना ख़तम कर जाने लगते हैं लेकिन साब ,अभी तक कढ़ी को चाट रहे हैं।
शाम होते ही घर की बगिया का रुख करते हैं , भिंडी अभी तोड़ने लायक हुई या नहीं ? आज बैगन तोड़ लेना और टमाटर भी जी सर ,सात बजते ही साब पत्नी के साथ ,किसी रेस्टों की तरफ गाड़ी घुमा देते हैं और दवा कर खाना खाते हैं। सौभाग्य से यह सिलसिला हर दूसरे दिन चलता है। जब साब ऐसा होगा तो ,उस ऑफिस की कल्पना की जा सकती है कि बाकी लोग क्या करते होंगे।
रेनू शर्मा
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