सरप्राइज
चौबारे में तुलसी का गमला ऊँचा रखा है ,पार्वती रोज उसमें एक लौटा पानी डाल देती है। तुलसी मइया से घर गृहस्थी के सुख की कामना करते हुए उसे बरसों बीत गए। शाम होते ही दीपक भी जला देती है। ठाकुर गिरिजा शंकर के पास धन -सम्पत्ति की कोई कमी नहीं। कालिंदी और कृष्णा दो बच्चे हैं बेटी जब भी घर आती है उसकी सहेलियां भी साथ आतीं हैं ,उन्हें भी कालिंदी का गांव बहुत भाता है। ठाकुर शंकर को अच्छा लगता है जब बेटियां तितली सी गांव भर में घूमती हैं।
फसल पकने पर सब गांव आ जाते हैं ,कृष्णा भी आ जाता है ,कोई खाना बनाता है ,कोई घर की साफ़ -सफाई करता है ,कोई खेत पर गोबर का काम देखती हैं। पार्वती खेत पर ही खाना बनवाती है ,सारे बच्चे पिकनिक मनाते हैं। पढ़ाई साथ चल रही है ,एम,ए की परीक्षा होने वाली है। पार्वती अब कालिंदी के ब्याह की बात करने लगी है।
बाहर किसी गाड़ी के रुकने की आवाज आती है ,कालिंदी कम्प्यूटर लेकर भीतर आती है ,बाबा अब ,आप इसी पर अपना काम करोगे ,इन छुट्ट्यों में हम सब लोग सीख लेंगे कैसे काम करना है। बाबा !! इसमें खेती के नए तरीके भी पता चल जाते हैं। ठाकुर शंकर एक हफ्ते में सब सीख गए। पार्वती बेटी से पूछ रही थी ,कोई दोस्त हो तो बता देना ,बाबा लड़का देख रहे हैं ,बाद में झमेला नहीं चाहिए। माँ ऐसा कुछ नहीं है। दो दिन रहकर कालिंदी शहर चली जाती है।
ठाकुर कालिंदी की पत्री लेकर शहर खत्री जी से मिलने जाते हैं ,फोटो देखकर तो ,वैशाली खुश हो जाती है ,आपकी बेटी सुन्दर है ,खत्री जी पंडित को बुला लेते हैं ,पत्री भी मिल रही है ,खुश होकर दोनो गले मिलकर मिठाई खाते हैं। रविवार को फिर मिलने का वादा कर ठाकुर घर आ जाते हैं। पार्वती तुलसी मैया को मत्था टेकती है ,चलो सब शुभ हो।
पार्वती को साथ लेकर ठाकुर शहर जाते हैं ,कुछ कपडे खरीदेंगे और कालिंदी को लेकर आ जायेंगे ,लेकिन कालिंदी अपने दोस्तों के साथ फिल्म देखने गई है ,तक दोनों इंतजार करते हैं ,तभी कालिंदी चकती हुई किसी लड़के के साथ रूम पर पहुंची ,बाबा ये मेरा ----बात पूरी भी नहीं हो पाई तभी बाबा बाहर निकल गए। पार्वती भी चल दी रात तक ,गांव पहुँच गए। रात को ही ठाकुर की तबियत बिगड़ गई ,बाहर सो रहे काकू को डॉक्टर लाने भेजा ,जब तक पार्वती गैस की दवाई देती रही ,आप चिंता न करो ,सब ठीक होगा। तेरी बेटी ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा ,अब खत्री को क्या मुंह दिखाऊंगा ? पारो गई और तुलसी मइया के सामने खड़ी हो गई। काकू ने शहर खबर करवा दी सुबह कालिंदी रोती हुई घर आ गई ,कृष्णा भी आ गया।
डॉक्टर ने बता दिया कि हार्टअटैक आया है ,शहर ले जाना होगा ,कोई सदमे वाली बात हुई है। ध्यान रखना होगा। रात को ही बाबा को अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। जब राहुल को पता चला कि कालिंदी के बाबा की तबियत ख़राब है तो वो भी अस्पताल पहुँच गया जबकि खत्री जी ने उसे गांव बुलाया था। राहुल को देखते ही कृष्णा भी पहचान गया ये तो ,खत्री जी का बेटा है ,पार्वती किसी काम से बाहर निकली तब राहुल ने पहले चरण स्पर्श किया फिर बताया खत्री का बेटा राहुल हूँ ,अंकल मुझसे मिलने ही घर गए थे। आप चिंता न करें। सब ठीक होगा।
जब ठाकुर को होश आया तब पूरी कहानी बताई गई ,राहुल अपनी गाड़ी से ही ,दो दिन बाद ठाकुर को गांव छोड़कर आया। कृष्णा अब कालिंदी को सरप्राइज देना चाहता था ,एक हफ्ते बाद सगाई की तैयारी चल रही थीं ,नहीं बताया कि कहाँ होने जा रही है ,माँ को भी मना कर दिया था। कालिंदी गुम -सुम सी हो गई ,अपनी सखी मीठी को बोल रही थी , राहुल बोल रहा था कि शाम को तेरे घर आऊंगा ,पर नहीं आया। तभी दरवाजे पर ढोल बजने की आवाजें आने लगीं ,वैशाली जी सुहाग जोड़ा लेकर राहुल के घर में प्रवेश कर रहीं थीं ,कालिंदी घूँघट किये चुप -चाप आँगन में बने चौक पर बैठ गई ,सखियाँ हंसी -मज़ाक कर रहीं थीं ,तभी राहुल ने अंगूठी निकाली और कालिंदी हाथ की अंगुली कसकर पकड़ी और पहना दी फिर बोला, अब तो ,पहना दे। कालिंदी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा ,कृष्णा भी जोर से हंसने लगा। दिन भर जश्न चलता रहा।
रेनू शर्मा
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