Monday, May 27, 2024

गॉँव की बिटिया 

मुनिया अभी बारह बरस की हुई है लेकिन दुलारी उसकी चिंता करने लगी है। तनिक पैसा -टका का इंतजाम करो मुनिया के बाबा ,आज -कल बिटिया को पढाय -लिखाय दो तो ,ब्याह की चिंता ना रहे। देखत नाही ,टीवी में नौकरी करे लागत हैं। अरे !! तुम सठियाय गए हो ,शहर के सब दिखाबे के ठाठ हैं ,ई सब बात न करो जी। जाओ ,सूरतपुर के वकील के छोरा को देख लो ,बात बढ़ते देख किशन खेत की ओर चल दिया। 

शाम को बरांडे में अलाब जलाकर किशन वहीँ खाना खा  लेता ,बच्चों से कहानी -किस्से भी कर लेता। दुलारी की चिक -चिक से बचकर सुबह चार बजे खेत पर चला जाता। ठकुराइन बहुत दिनों बाद शहर से आई थी ,एक दिन ठकुराइन दुलारी के पास मिलने आ गई ,दुलारी दौड़कर पीड़ा लेकर आई ,आओ सा !! बैठो ,क्यों दुलारी मिलने नहीं आई घर ,बाई सा ! काम से फुर्सत न मिल सके है ,बिटिया नहीं दिख रही ?स्कूल गई है। बड़ा अच्छा है बच्ची को पढ़ा रही हो। बाई सा ! मैं ,तो पढ़ी नहीं दाद्दु ने दुलारी लिखना सीखा दिया बस ,बिहारी के बापू तो कछु नाय पढ़े। ठकुराइन हंसने लगी। 

दुलारी को विवाह की उम्र का आंकड़ा बता ही रही थी कि गांव में कोई गाड़ी आ गई ,बच्चे उसके पीछे भाग रहे हैं। तभी पता चला ,ठकुराइन की अमेरिका वाली बेटी ,अपनी दो बिटिया के साथ आई है। सपना बीस साल बाद गांव आई है। सब कुछ बदल गया है। माँ के साथ बचपन में गांव आया करती थी। खेत पर जाती ,ट्यूवबेल पर नहाती थी ,गन्ने तोड़कर खाती ,ननकू को अंग्रेजी सिखाती रहती थी। 

दुलारी चार गिलास पानी लाती है ,बीबी !!लो घड़े का पानी ,सुन्दर ,तीखे नयन -नक्श वाली दुलारी को देखकर मुस्कान छोड़ती है। दुलारी को घूँघट में देखकर बेटियां हंसती हैं। ठकुराइन उनके रहने की व्यवस्था करने लगती हैं। माँ ,हम आपके साथ गांव रहना चाहते थे इसलिए यहाँ आ गए। हाँ बेटा !! हवेली की मरम्मत करानी थी इसलिए यहाँ हूँ। तभी ड्रायवर ने बताया मेडम !!एक बच्चे ने लाइट तोड़ दी ,क्या करूँ ?कुछ नहीं सपना ने उस बच्चे का कान पकड़ा और बोली -बता तेरे बाप का क्या नाम है ?बच्चा चलाया ननकु।

ऊपर तक धूल  में  सना हुआ बच्चा ननकू का है ,उसे आश्चर्य हुआ। गांव के स्कूल में ननकू दसवीं तक अंग्रेजी पढ़ाता था। अब ,क्या हुआ ?सपना की बेटी गौरी टॉफी का डिब्बा ले आई और सारे बच्चों को बांटकर डिब्बा खाली कर दिया। छोटी बेटी मोना सब तमाशा देख रही थी। गौरी सब बच्चों की दोस्त बन गई थी। उन्हें बोल रही थी कल सब लोग नहाकर आना तब टॉफी मिलेगी। किशन खेत से आकर पूछ रहा था -बताओ दीदी क्या खाओगी ?दुलारी वही बना देगी ,मैं ,तो सब कुछ खाती हूँ ,कुछ भी बना लो। 

अभी बात चल ही रही थी कि बाहर ननकू आ गया ,तुम्हें क्या हुआ ननकू !!कितने दुबले हो गए हो ,क्या करते हो ?तुम्हें तो अंग्रेजी सीखकर गई थी सब भुला गए क्या ?मास्टर हूँ ,खेत का काम भी करता हूँ। देर तक बात -चीत होती रही ,दुलारी सबके सोने का इंतजाम कर घर चली गई। सुबह होते ही सपना स्कूल  पहुँच गई ,प्रधानाचार्य से मिली ,जो भी टूट -फूट थी उसका काम तुरंत किया जाय ,नए ब्लैक बोर्ड  बन गए ,फर्नीचर गया। एक बड़ा हॉल का निर्माण सर्व सम्मति से होगा। खेल का मैदान तो बच्चों से ठीक करवाया गया। सपना ने पहले दिन से ही गांव की काया पलट दी ,सभी काम अमेरिकन संस्था चिल्ड्रन्स के माध्यम से किये गए। बच्चों के झूले भी लग गए ,सभी काम होने में दस दिन लगे। स्कूल में शाम की कक्षा में दुलारी , किशन सब जाने।  पंचायत ने ननकू के एक हजार रूपये बढ़ा दिए। सपना के आने से गांव का रूप ही बदल गया। छुट्टिया फुर्र से उड़ गईं। 

ठकुराइन शहर जाने की तैयारी करने लगी। किशन अब  पढ़ने लगा है ,मुनिया का ब्याह अभी नहीं होगा दुलारी ने खुद बताया। गाड़ी में सामान जाने लगा ,कोई मूंग दाल बड़ी लाइ ,कोई चावल ,बच्चे फलों की डलिया लेकर खड़े थे। दुलारी आम के अचार  बरनी गाड़ी में रखवा रही थी। सभी से गले मिलकर सपना में बैठ गई ,आँखें भीग रहीं थीं। गाड़ी पर गांव भर के बच्चे लटके  हुए थे ,ड्राइवर से बोला धीरे चलना। बच्चे हिप हिप हुर्रे बोल रहे थे ,सपना मुस्करा रही थी। 

रेनू शर्मा 

























































 

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