वृक्षा रोपण
देवी के स्कूल में आज डॉ विमल आये थे जो पर्यावरण के बारे में बता रहे थे कि हमें पृथ्वी पर पांच तत्वों का संतुलन बनाये रखने के लिए ,अपने घरों के आस -पास वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए। अपने स्कूल को भी हरा -भरा रखने के लिए प्रयास करना चाहिए। माँ !! कल एक पौधा लेकर जाना है ,सावित्री ने किचिन गार्डन से पौधे बच्चों को दे दिए। वापस लाकर बच्चों को ही रख -रखाव करना है। देवी ने पौधे का ध्यान रखा लेकिन राहुल ने लापरवाही की तो पौधा सूखने लगा। सावित्री ने उसे फिर से हरा -भरा कर दिया।
शाम को जब बच्चे आ गए तब ,आज की चर्चा का विषय था पौधों का रख -रखाव करना। अधिकांश बच्चों के पौधे ख़राब हो गए थे क्योकि नियमित देख भाल नहीं हुई थी। सावित्री ने बताया -देखो बच्चों !! जैसे हम एक दिन खाना खाएं ,दूसरे दिन न खाएं ,तीसरे दिन भी खाना न मिले तो ,क्या होगा ? हम कमजोर हो जायेंगे। इसी तरह पौधों को भी भोजन की आवश्यकता होती है जो होता है पानी ,कभी -कभी खाद डालना भी जरुरी होता है। लड़कों ने ध्यान नहीं दिया जबकि लड़कियों ने अच्छा काम किया। इसी तरह हम प्रकृति की रक्षा करना भी सीखेंगे।
बच्चों !! देखो सबसे पहले एक नीचे छेद वाला गमला लेना होगा , मिटटी ,रेत ,गोबर की खाद मिलाकर मिटटी तैयार करें। छेद पर एक गिट्टी लगादें ,खाद वाली मिटटी डाल कर पौधा लगाकर ,पानी छिड़क दें। मिटटी को गमले में अच्छी तरह दवा दें ,पौधा थोड़ी घूप और थोड़ी छाँव में रखें। हर दूसरे दिन पानी डालते रहें। बारिश के समय कुछ पौधे स्वयं उग जाते हैं। उन्हें भी गमलों में या क्यारी में रोपा जा सकता है। लताएं ,फूलों के पौधे , हरी साग -भाजी बहुत आसानी से उगाये जा सकते हैं।
तुलसी के पौधे भी स्वयं उग जाते हैं ,पोदीना तो डंडी लगाने से ही उगने लगता है। जब हम क्यारी में देखेंगे तब समझ आएगा कि सब कुछ बहुत सरल है। हम देख पाएंगे कि प्रकृति किस तरह अपना विकास करती है। बिलकुल हमारे जीवन चक्र की तरह ही सब चलता है। पौधों में भी रासायनिक क्रिया होती है ,वे भी प्राण धारण करते हैं। बीज से अंकुरण होता है ,बड़े होते हैं ,फलते -फूलते हैं। फिर सूखते भी हैं ,फिर से नई प्रक्रिया शुरू होती है। हमारे ग्रंथों में भी बताया है कि वृक्ष काटना मना है। सूखने पर ही काट सकते हैं।
बच्चों !! इसी तरह अपने घर पर भी पेड़ -पौधे लगा सकते हो। उनका ध्यान भी आप लोग रखोगे। शुद्ध वायु हम वृक्ष और पौधों से ही पाते हैं। हजारों कीट -पतंगों के घर भी ,इन्हीं लता ,बेल और पौधों पर होते हैं। भँवरे को देखा होगा ,इन्हीं के पास घूमता रहता है। मधु -मक्खियां यहीं से शहद लेती हैं। तितलियाँ इन्हीं के पत्तों पर अपने अंडे चिपका देतीं हैं। इसलिए सभी को पेड़ -पौधे लगाना चाहिए।
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