सार्वजनिक संसाधनों का रक्षण
सावित्री बच्चों को लेने स्कूल गई ,क्योंकि आज किसी व्यक्ति की बस से टक्कर हो गई ,अस्पताल ले जाते समय उसकी मृत्यु हो गई। गांव के लोग क्रोधित हो गए ,चक्का जाम कर दिया। गलियों से होते हुए सावित्री बच्चों को घर ला पाई। बच्चे वहां के हालात देखकर दुखी थे। सब लोग सरकारी हो या प्राइवेट सभी वाहनों को तोड़ -फोड़ रहे थे।
शाम को जब बच्चे आ गए तब ,सावित्री ने कहा -बच्चों !! आज की घटना पर ही हम लोग चर्चा करेंगे। हामिद तुम बताओ -दुर्घटना होने पर सबसे पहले क्या करना चाहिए ? मौसी !! सबसे पहले घायल को अस्पताल ले जाना चाहिए। कालू तुम बताओ -पुलिस को सूचित करना चाहिए। लेकिन मौसी !! जब तक ,लोग सड़क पर आकर उधम नहीं करते ,गरीब की बात कोई सुनता ही नहीं। नहीं ऐसा नहीं है ,पुलिस के आने का और उनके समझाए ,सुझाये नियमों को मानना भी चाहिए।
देखो बच्चों !! जब हम टैक्स देते हैं ,उसी पैसे से सरकार हम सभी के लिए बस ,सड़क ,रास्तों पर लाइट ,फ्लाई ओवर आदि बनवाती है। एक तरह से हम अपना ही नुक्सान कर रहे होते हैं। लोग बसों की सीट फाड़ देते हैं ,रास्ते पर लगे पत्थर ,गमले ,फूल -पौधे ,जाली सब चोरी हो जाता है। सार्वजनिक स्थान पर की गई सुविधा ,हम सभी के लिए होती है।
मौसी एक बार बस में एक लड़की पर किसी गुंडे ने हमला किया ,उसका हाथ घायल कर गुंडा भाग गया। पुलिस में शिकायत की गई ,जब विधायक जी को पता चला तो ,उस लड़की के घर चले गए ,जब लड़की बोली सर !! में पढ़ी -लिखी हूँ ,मुझे जॉब चाहिए तो ,देखते हैं कहकर वे चले गए। क्या मतलब हुआ ? उसके घर जाने का। जबकि लड़की ब्लैक बैल्ट थी। हमारे नेता जी भी तो ऐसे हैं।
हमारा विषय था सार्वजानिक संसाधनों की रक्षा करनी चाहिए। बच्चों !! सामजिक नियमों का उलंघन करना भी अपराध है इसलिए हमेशा नियमों का पालन करना चाहिए।
No comments:
Post a Comment