Sunday, January 7, 2024

 धरोहरों का सम्मान 

गर्मी की छुट्टियां हों या सर्दी की बच्चे हमेशा जिद करते हैं ,कहीं घूमने चलो। इस बार आगरा जाने का तय किया है। सावित्री की बहन मनु वहां रहती है ,बाबा को ऑफिस में काम है तो ,हम लोग ही जा पाएंगे ,अपने बैग तैयार करो कल जाना है। ट्रेन से चलेंगे ,झाँसी से आगरा समय भी कम लगेगा। बच्चों को पहले ही समझा दिया कि वहां जाकर कोई अवहेलना नहीं होगी। 

सबसे पहले ताजमहल देखा गया ,पूरा दिन वहां के लिए समर्पित था ,भव्य नजारा था ,पीछे यमुना जी बहती हैं ,सुन्दर बाग़ -बगीचे बने हैं। विशाल पार्क हरी घास से मखमली लगते हैं। बीच में मुख्य मार्ग शुरू होते ही फब्बारे चलते दीखते हैं। पानी पर ताज का प्रतिबिम्ब बहुत अच्छा लगता है। 

जब हम मीणा बाजार घूम रहे थे तो ,वहां लोगों ने खम्भों पर ,दीवारों पर नाम लिखे हुए हैं जो ,दीवारों को खोदकर लिखे हैं। सुरक्षा गार्ड हैं ,फिर भी भारतीय धरोहरों को खराब किया जा रहा है। दूसरे दिन लालकिला देखने गए ,जहाँ तक घूमने की गाइड साब की आज्ञा थी ,हम लोग घुमते रहे ,तीन घंटे निकल गए। इतिहास को भी जानते रहे। वहां भी वही शिकायत थी ,लोगों ने दीवारों को खराब किया हुआ था। 

फतेहपुर सीकरी ,सिकंदरा ,दयालबाग ,सदर बाजार सब हमारी लिस्ट पर थे ,सभी स्थानों पर लिखा था फूल तोडना मना है लेकिन बच्चे तोड़ भी रहे थे ,माता -पिता ध्यान ही नहीं देते। सॉरी बोलने से क्या होगा ? ये सब स्थान हमारे ही पूर्वजों की धरोहर हैं ,लोग कब समझेंगे। सावित्री बच्चों को समझाती  जा रही थी कि भव्य इमारतों का हम सभी को ध्यान रखना चाहिए। आगरा की चाट का ,पेठे का ,दालमोठ का पूरा मज़ा लिया गया। चले समय चप्पल ,जूते खरीदे गए। मनु मौसी को शुक्रिया कर हम लोग झाँसी वापस आ गए। 

शाम को बच्चों को बुलाया गया ,उन्हें सावित्री ने ऐतिहासिक महत्ता के साथ सब कुछ फोटो सहित दिखाया और समझाया भी कि जब हम बाहर कहीं भी घूमने जाएँ इमारतों का ध्यान रखें ,कोई नुक्सान न पहुंचाएं। 

























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