जीव सुरक्षा
माँ !! देखो -बुल बुल का बच्चा नीचे गिरा है ,सावित्री ने अखबार के ऊपर उसे ले लिया और घर में लाकर ,उसे पानी की बून्द डालकर थोड़ा जीवित किया ,फिर रुमाल बिछाकर उसे डलिया में रख दिया। थोड़ी देर बाद लगा भूखा होगा तो ,आटा घोलकर सिरिंज से बून्द -बून्द पिलाया। दोपहर में डलिया बाहर बरांडे पर रख दी तो ,उसके माँ -पापा नन्हे चूजे को खाना खिलाने आये। अब ,रोज रात को घर के भीतर रखा जाता और सुबह होते ही बाहर आ जाता। बुलबुल रोज उसे खाना खिला रहे थे। धीरे -धीरे उसके पंख आने लगे ,तब बुलबुल उसे उड़ने के लिए डलिया से बाहर लाने का प्रयास करने लगे। हम छुपकर देखते थे क्योकि बिल्ली के आने का डर था ,सांप भी आ सकता था। एक दिन बच्चे को उड़ा कर ,झाड़ तक ले गए ,शाम होने पर हम घर ले आये। दो दिन के बाद नन्हे मेहमान उड़ चुके थे। सबसे ज्यादा ख़ुशी हुई कि हम उसे बचा पाए ,दूसरी बात बुलबुल ने उसे स्वीकार किया।
सावित्री शाम को बच्चों को बता रही थी कि पंछी भी समझदार होते हैं। जब भी ,किसी पेड़ से गिरे हुए बच्चे को देखो तो तुरंत सुरक्षा देनी चाहिए। उसे बचने का प्रयास करना चाहिए। हमने देखा था ,बुलबुल उसके लिए छोटे कीट पतंगे लाते थे। कभी हरी इल्ली ,झींगुर आदि तभी बच्चे जल्दी बड़े होते हैं। देवी राहुल उसके साथ फोटो खींचते थे। हमने इंसानी हाथ कभी नहीं लगाया ,क्या पता बुलबुल ना आती।
जब कभी ,हम सड़क पर जाते हैं ,तब घायल जानवर ,पक्षी ,चिड़िया ,गिलहरी मिल जाते हैं ,जल्दी से पानी पिलाओ और पास के अस्पताल ले जाओ। अधिकांश तो थोड़ी देखभाल से ही ठीक हो जाते हैं। बच्चों !! हमें सभी प्राणियों पर रहम करना चाहिए। सब ईश्वर की संतान हैं। कभी कुत्तों को बेवजह मारना नहीं चाहिए। हो सके तो ,रोज एक नियत समय पर उन्हें खाना खिलाओ। हमेशा जीव रक्षा करनी चाहिए।
रेनू शर्मा
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