Sunday, December 24, 2023

कन्या भ्रूण की रक्षा 

सावित्री  परेशान हो रही थी क्योकि हरिया की माँ ने अपनी बहु पारो को अस्पताल ले जाकर ,कन्या भ्रूण को ख़तम करवा दिया। डॉक्टर से कहा -काम करने वाली है ,दो बच्चा हैं ,तो जरुरत नाय। आपरेशन करवा दिया। हरिया ने कहा -माँ ,पति -पत्नी का राजी होना जरुरी है तो बोली -अरे ! का नाटक करे है छोरा !! चल अंगूठा लगा। घर पर खाने को नहीं है इन्हें लक्ष्मी की पड़ी है। कह तो ठीक रही है। हरिया बोलता जा रहा था -माँ ! सरकार खर्चा देती है ,ब्याह का ,पढ़ने का ,खाने का। 

माँ ,ने किसी की नहीं सुनी और दूसरे दिन बहु को घर ले आई। हफ्ता भर आराम करो फिर काम पर जाओ। सावित्री ने आज फिर नगमा को बुला लिया है ,बच्चे अपनी इच्छा से बैठ सकते हैं। सभी महिलाओं को बुलाया गया ,डॉ नगमा का परिचय दिया गया। देखिये हम सभी जानते हैं कि बच्चे के रूप में या तो बेटी होगी या बेटा लेकिन इस कार्य में महिला के अंडे की भागीदारी समझो तो बच्चा बड़ा करने की होती है ,पुरुष का शुक्राणु ही बेटा या बेटी तय करता है। माँ तो बस नौ माह तक सेचन करती है। 

बच्चे के लिए कभी भी बहु को दोष नहीं देना चाहिए। स्त्री कभी बच्चा खुद से नहीं बना सकती। अगर बच्चा नहीं हो रहा तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए और यदि बच्चा नहीं चाहिए तब भी डॉक्टर से मिलना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यदि बच्चा कन्या हो तो ,गर्भपात नहीं कराना चाहिए इससे माँ का जीवन खतरे में पड़ सकता है। हमारी सरकार लड़कियों के लिए बहुत योजनाएं चला रही है तो कन्या को मत मारो। डॉ नगमा देर तक महिलाओं की समस्या सुलझाती  रहीं। 

















 

No comments: