Sunday, December 24, 2023

बिना विचारे जो करे 

सो पाछे पछताय।  

सावित्री को सुबह शाम जब समय मिलता कबीर ,रहीम ,तुलसी को पढ़ा करती थी ,पास वाली महिलाएं बोलती थीं कि बिटिया ! रामायण पढ़ा करो। कभी गीता समझा दिया करो ,हाँ दादी ,लेकिन आज मैं कबीर को पढ़ रही हूँ -बिना विचारे जो करे ,सो पाछे पछताय। एक बार मैं रिक्शा में बैठी ,भैया हलवाई गली चल ,बीस रुपया लुँगा ,पंद्रह दूंगी ,चल और रिक्शा चल दिया। रिक्शे वाला बोलता रहा ,ये रास्ता दूर पड़ेगा ,पर मैं न मानी। तब ,एक दुकानवाले से पूछा - तुम यहाँ क्यों आये ? वहीँ से सीधे जाना था। ऊपर से पद्रह रुपया और बोल दिए ,मैं न जा रहो ,चलो उतरो। अरे ! चल भाई बीस दूंगी। सब लोग हंसाने लगे। अगर विचार कर लेती तो ,बीस रुपया भी न जाते और काम समय लगता। हम सभी दादी की बात पर हंसने लगे। 

शाम होते ही बच्चे कमरे पर आ गए ,आज का विषय भी यही था। बिना विचारे कोई काम नहीं करना चाहिए। रश्मि बताओ -माँ ,मुझे पढ़ाई को लेकर डांट रहीं थीं ,मैंने गुस्से में बोल दिया -आप क्या करती हो हमारे लिए ,पढ़ते तो हम हैं न। माँ ,को बहुत बुरा लगा ,वे अपने कमरे में जाकर बैठ गईं। मुझसे बात नहीं की। मुझे अहसास हुआ कि गलत हुआ है ,मॉ को सॉरी बोला। बच्चों !! माता -पिता ही वे लोग हैं जो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और जिंदगी देना चाहते हैं। तभी केदार बोला -मौसी !! एक बार क्लास में एक बच्चा कभी किसी के साथ किताब से पढता कभी किसी के साथ ,हम लोग उससे चिढ गए। जब किताब नहीं तो ,पढ़ने क्यों आते हो ? वो बच्चा दो दिन स्कूल नही आया। तब पता चला कि उसके माता -पिता नहीं हैं ,वो अपनी दादी के साथ रहकर पढता है। इसलिए किताब नहीं ले पाया ,हमें बहुत दुःख हुआ। फिर उसे दोस्त बना लिया ,किताब भी लाकर दी। 

हाँ ,इसीलिए बोला जाता है कि बिना विचारे कुछ नहीं बोलना चाहिए और न करना चाहिए। हम लोग बहुत बार किसी का अपमान करते हैं या अपशब्द बोल देते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। हमेशा अच्छा सोचो ,अच्छा बोलो। 






























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