बाल मजदूरी
यशोदा घरों में काम करती है ,पांच बच्चे हैं ,पति मजदूरी करता है। सरकारी बंगलों के पीछे बहुत लोगों ने अपने झुग्गी नुमा घर बना रखे हैं। वहीँ एक घर में यशोदा भी रहती है। सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाई के प्रति नियमित करने के लिए दोपहर का भोजन भी दिया जाता है जिसमें दलीय ,खिचड़ी ,दाल -रोटी ,चावल -दाल आदि दिया जाता है। माता -पिता बच्चों को स्कूल भेजकर अपने काम पर चले जाते हैं।
जस्सो का बड़ा लड़का आठवीं में पढता है लेकिन जब मास्टर नहीं आते तब पिता के साथ मजदूरी करता है। दो सौ रूपये मिल जाते हैं। पूरे दिन बिना आराम के लगे रहना पड़ता है। चोट लगने पर ठेकदार की जिम्मेदारी नहीं। पिता को पता है बाल -मजदूरी अपराध है लेकिन खली घूमने से अच्छा काम करे इसलिए ले जाता है।
सावित्री आज इसी विषय पर चर्चा करेगी ,शाम को सभी बच्चे आ गए ,तब रोहन ने पूछा -मौसी !! मास्टर साब छुट्टी क्यों करते हैं ? देखो कभी किसी की तबियत ख़राब हो गई ,कभी जरुरी काम आ गया लेकिन दूसरे मास्टर का इंतजाम न होने पर पढाई रुक जाती है। हेड मास्टर ध्यान नहीं देता ,हाँ ,लेकिन माता -पिता को भी बच्चे की पढ़ाई का ध्यान रखना चाहिए। तभी सिया ने उपाय बताया मौसी !! क्यों न हम कल्लू और उसके दोस्तों को अपने साथ जोड़ लें। बहुत अच्छा।
दूसरे दिन से कमरा भर गया। सभी बच्चों ने उनकी सहायता की ,किसी ने किताबें दीं ,किसी ने कलम दी। कल्लू ने जब दसवीं की परीक्षा दी तब प्रथम स्थान प्राप्त किया। मौसी ने सभी को मिठाई खिलाई। सावित्री ने अब एक कमरा ले लिया है प्रति दिन पढ़ाने के लिए
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