Friday, December 22, 2023

बाल विवाह 

माँ ,जो हमारी क्लास में उमा है न ,उसका विवाह हो रहा है। सावित्री चौंक गई !कैसे पता चला ? कल क्लास में उमा रो रही थी। कह रही थी उसे भी पढ़ना है। तुम लोगों ने टीचर को नहीं बताया ? हाँ ,उन्होंने कहा हम क्या करें ,अरे !! ऐसे कैसे ,कल चलती हूँ ,तुम्हारी प्रिंसिपल से मिलती हूँ। सावित्री सोचने लगी ,क्या करें ?तभी चेतना को फ़ोन किया ,उसे सारी  बात बताई  ,आज भी लोग क्यों बाल -विवाह करना चाहते हैं। बेटियों को पढ़ाते  क्यों नहीं। कल स्कूल चलकर बात करते हैं। यदि वे साथ न आईं तो पुलिस को कॉल करेंगे। 

सारी योजना के साथ सावित्री और चेतना स्कूल गए। पहले तो प्रिंसिपल से मिले ,उन्हें सारी बात बताई तो ,वे बोलीं -कल शनिवार को बाल -सभा है ,सभी बच्चों के माता -पिता भी रहेंगे ,तभी उन्हें समझाया जायेगा। आपने अच्छा किया जो मुझे अवगत कराया। शुक्रिया सावित्री जी चेतना जी। उमा को बुलाया लेकिन वो छुट्टी पर थी ,शनिवार के लिए बात पक्की हो गई। 

सारे बच्चे हॉल में एकत्र थे ,माता -पिता बैठे थे ,बाल -सभा चल रही थी ,शगुन मंच पर कहानी सुना रही थी ,किसी को कहानी ,किसी को कविता सुनानी थी ,तभी मंच पर आशा मैम ने बोलना शुरू किया -आज हम कुछ आवश्यक जानकारी देना चाहते हैं ,भारतीय समाज में विवाह की उम्र १८ से २१ बरस की है। यदि कोई माता -पिता काम उम्र में बेटी या बेटे का विवाह करेंगे तो सरकार या कानून उन्हें दण्डित करेगा। एक कहानी सुनिए -सिया स्कूल में पढ़ती थी ,अभी वो चौदह बरस की थी ,उसके माता -पिता ने तीस बरस के व्यक्ति से बिना माँ की आज्ञा के और न लड़की से पूछा गया ,विवाह कर दिया गया। नए घर आकर सिया को मेल -जोल बिठाने में समय लगा। पति शराबी तो था ही दुराचारी भी था ,सिया को परेशान करने लगा। सिया ने अपनी सास माया को भी बताया लेकिन हालात सुधरने के बजाय बिगड़ गए। माया सिया को डॉक्टर के पास ले गई लेकिन दवा के साथ पति से दूर रहना भी एक दवा थी। माता -पिता के घर नहीं जाने दिया गया। 

एक दिन पता चला कि सिया माँ बनने वाली है ,डॉक्टर ने कहा अभी सिया बच्ची है ,इस काबिल नहीं ,पति नहीं माना। एक रात असहनीय दर्द के कारण सिया को माया ही अस्पताल लेकर गई ,बोलती रही उसके माता-पिता को खबर करो ,पति नहीं माना। वही हुआ जिसका डर  था। सिया इस दुनिया में नहीं रही ,अपने माता -पिता की गलती से। आज जो भी माता -पिता यहाँ उपस्थित हैं वे ,अपने बच्चियों के भविष्य का सोचें फिर निर्णय करें। बेटियों को पढ़ने दें। 

उमा के माता -पिता ने भी निर्णय लिया की उमा अभी पड़ेगी। स्कूल के वार्षिकोत्सव पर प्रिंसिपल ने सावित्री और चेतना को सम्मानित किया। तालियों से हॉल गूँज गया। सावित्री नई ऊर्जा के साथ काम पर लग गई। 





































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