पाखाना
परी और छाया आज स्कूल से झगड़ते हुए ही घर आये हैं। माँ ,देखो ! छाया बोलती है कि हमारे देश में आज भी महिला , बच्चे और पुरुष शौच के लिए खेतों पर ही जाते हैं या खुले स्थानों पर बैठते हैं। पर ,माँ ,आप तो कह रहीं थीं कि अब ,कानून बन गया है कि कोई भी इंसान खुले में शौच नहीं जायेगा ,अगर गया तो ,सरकार ही दण्डित करेगी। इसके लिए सरकार गांव के मुखिया या सरपंच को सहायता राशि दे रही है कि वे ,अपनेगांव में शौचालय का निर्माण कराएं।
हाँ ,ये सब ठीक बात है लेकिन गांव वालों को खुले में जाने की आदत हो गई है। सुबह शाम खेतों की तरफ जाते हैं और देख -भाली करके आते हैं चलो बच्चो ,अब खाना खाओ और थोड़ा आराम करो। शाम को इस विषय पर चर्चा करेंगे। अपने दोस्तों को भी बता देना ,सभी के विचार सुने जायेंगे।
शाम सावित्री की बैठक बच्चों से भर गई ,नीचे दरी बिछी थी सभी बच्चे बैठ गए ,मौसी !! परी बता रही थी कि आप शौचालय विषय पर चर्चा करेंगी ,हाँ बच्चो !! हम सब लोग जानते हैं कि जो कुछ भी हम खाते हैं ,वह मल -मूत्र के रूप में शरीर से बाहर जाता है। तभी ,गोलू हंसने लगा मौसी ! मेरी दादी तो शौचालय को पाखाना बोलती है। सभी बच्चे हंसने लगे , सावित्री नेऐसा बताया देखो -पवित्र होने वाली जगह को पाखाना कहते हैं। जैसे दवाखाना। पहले शौचालय घर से दूर बनाये जाते थे कोई बच्चा बताएगा कि ऐसा क्यों था ? तभी सोहन उठा ,पहले ड्रेनेज सिस्टम था और स्वीपर सफाई करता था तो ,घर से दूर ही शौचालय होते थे। मुनव ने बताया कि स्वच्छता के कारण भी ऐसा करते थे।
देखो ,बच्चो !! हम लोगों को मक्खी और मच्छरों के कारण भी बीमारियां फैलती हैं इसलिए मल -मूत्र ,गोबर ,कचरे पर कीड़े बैठते हैं फिर हमारे खाने पर भी आते हैं जो हमें बीमार करता है। इसलिए सरकार ने तय किया है कि गांव में भी शौचालय बनाये जायेंगे। बहु -बेटियों को सुरक्षा और सम्मान भी मिलेगा। बच्चों को अच्छी आदतें सीखनी चाहिए। घरों में भी सफाई का ध्यान रखना चाहिए। हमेशा हाथ धोने चाहिए।
सारे बच्चे ,बताओ समझे, हमारे जीवन में स्वच्छता और शौचालय परम आवश्यक साधन हैं। कल फिर किसी सार्थक विषय पर चर्चा करेंगे।
रेनू शर्मा
No comments:
Post a Comment