पंद्रह दिन पहले पंडित श्याम लाल आये थे ,सरला बहन थोड़ी देर पास आकर बैठो ,तो सितारे पढ़ दूँ। अरे ! पंडित जी अभी तो घर के काम ते ही फुर्सत न मिली। चौका समेटना पड़ा है ,कपडा नाय धुबे ,गैया को पानी भरनो है। अरे ! छोडो ,जे काम तो रोज को है। फिर सोचा -थोड़ी देर बैठ ही लेती हूँ। पंडित जी भी तो साल छह महीने में आते हैं। हाँ ,बताओ का बता रहे हो ,जे महीना ठीक ना चल रहो ,बड़ो सावधान रहवे की जरुरत है। कैसी सावधानी ? अरे ! जे कह रहो कि काउ ते बहस मत करियों। शांत रहनो है।फिर सब ठीक रहेगा। कोई रिश्तेदारी तिरकेगी। अच्छा !! तो मैं का करूँ ?कोई छेड़ेगो तो मैं ,चुप रहूं। हाँ ,तो जामे का बुराई है। अरे ! पंडित जी तुम चुप रहो ,चाय पियो और जा रत्ना की पत्री देखो।
उस दिन पंडित जी रत्ना की पत्री देखकर चले गए , मैं भी अपने काम करने लगी ,सब्जी लानी है ,गहुँ पिसाने हैं ,दिन भर कुछ न कुछ चलता रहता है। कल सलोनी का फ़ोन आया था ,अम्मा !! कुछ दिन के लिए मेरे पास आ जाओ। नाय ,बेटा ! अभी ना आउंगी , बहुत काम फैलो परो है। रत्ना कॉलेज जाबे है ,काकू शहर गयो है ,बाबा खेत पर ही घर बनाकर बैठे हैं। ऐसी फसल रखा रहे हैं कि जब ,तक गेहूं न निकल आएंगे ,तब तक ,घर न आएंगे। अब ,बताओ कैसे ? आ जाऊं। अम्मा !! मुझे आपसे बात करनी है तभी फ़ोन कट गया।
आज कल के बच्चों से कैसे निबटा जाय माता -पिता की तो ,सुनते ही नहीं ,अपनी कहते रहते हैं। काकू को देख लो ,फिल्म देखने गया है ,कह रहा था नई फिल्म आई है। सलोनी की गुस्सा जब बाबा को पता चली तब ,बोले हम न आय रहे। हमाय पास कछु काम नाय का। रत्ना को ब्याह परो है ,काकू अलग मस्ती मे लगो है।
बीस दिन बाद सोचा सलोनी को फ़ोन करूँ ? सलोनी के देवर रामवीर को फ़ोन लगाकर हाल -चाल पता हो जाएंगे। बाबा नाश्ता करके खेत पर चले गए हैं। रामवीर से बात हुई ,सलोनी के हाल पूछे ,सब ठीक हैं ,हम तो ज्यादा बात ना करें मौसी !! हाँ ,देखो महेश भी बात ना करे ,आप बताना मत कि मैंने फ़ोन किया था। रामवीर निपूते ने तुरंत ही नमक मिर्च लगाकर सलोनी और महेश को बता दी ,अब तो ,रायता फ़ैल गया। सलोनी ने बाबा को फोन लगा दिया ,क्या जरुरत थी आपको रामवीर से हाल जानने की। बाबा के पास चार लोग बैठे थे तो ,कोई बात ना कर सके।
बाबा ,जब शाम को घर आये तब ,बहुत नाराज हुए ,क्यों ? फ़ोन किया ,अरे !! हाल ही तो लिए थे ,का भयो। उस दिन मैं भीतर तक टूट गई ,रामवीर से भरोसा उठ गया। रत्ना भी मेरे ऊपर नाराज हो गई ,अम्मा सबकी चिंता छोडो अपनी किया करो। काकू भी सुना गया। सलोनी और महेश अब आपको नीचा दिखाना चाहते हैं। आज याद आया ,मरा पंडित कुछ कह रहा था ,मैंने ध्यान ही ना दिया। बैठे -ठाले कलेश हो गई। अब क्या करूँ ?सारे नंबर बंद कर दिए। किसी परेशानी में पड़ने से अच्छी दूरी बनाये रखना है।
रेनू शर्मा
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