Wednesday, February 22, 2023

लड़की

कोई दस बरस की रही होउंगी , दादी यूँ ही कहीं जाने नहीं देती थी। पड़ौस के तिवारी जी के बेटे की शादी थी ,बारात वापस आई थी ,बहु बड़ी सुन्दर थी ,पूरे गांव में हल्ला था। दादी !! बस बहु देखकर आती हूँ ,जाने दो न। अगर आप न जाने डौगी तो हमारे घर कौन आएगा ?दादी को पड़ोस और सामाजिकता के दायरे में घेरकर उनसे हाँ करा ली। माँ ,को कोई अता -पता नहीं रहता था कि हम कहाँ घूम रहे हैं। उन्हें तो घर के काम -काज से ही फुर्सत नहीं मिलती थी। दादी ,को ही अधिकार था कि घर से बाहर जाने की अनुमति दें। 

मेरे साथ उषा और लाली भी थीं ,हाँ ,होते ही हमने दौड़ लगा दी। तिवारी जी के घर जाकर सुन्दर बहु को देखा ,मैं ,तो हतप्रभ हो गई बहु इतनी सुन्दर होती हैं ? उसके पास बैठने में हमें अच्छा लग रहा था। शायद बहु  को नहीं ,वो आराम करना चाहती थी। थोड़ी देर बाद हम बाहर निकले वहां ,सब नई चीजें देखने में अच्छा लग रहा था। नए गहने ,कपडे ,श्रृंगार ,चूड़ियां सब नया था। मेहंदी की खुशबु अभी तक आ रही थी ,पैरों में महावर भी लगाया था। बाबले से बैठे देखना चाहते थे। 

बाहर दरवाजे पर तखत बिछे थे ,लोग बात -चीत में मस्त थे ,ठहाके लगाए जा रहे थे ,चाय पीकर कोई कुल्लहड फैंक रहा था ,कोई ऊंघ रहा था तभी ,ढोलक की थाप सुनाई देने लगी। दो औरतें ,दोआदमी और एक खूबसूरत सी कमसिन चौदह बरस की लड़की ,जो लम्बी स्कर्ट पहने थी ,ऊपर ब्लाउज था लेकिन दुपट्टा नहीं था। वो लोग बधाई के गीत गाने लगे ,लड़की किसी फ़िल्मी गाने पर डांस करने लगी। पुरुषों के बीच बड़ी हिम्मत के साथ स्वच्छंद रूप से अपनी कमर हिलाकर ,अलग -अलग मुद्राओं में नाच रही थी। जैसे आज कल बैली डांस होता है। कभी तो सीने का ऊपरी भाग हिलाकर नाचती थी। जब ,कोई इनाम के रूप में रुपये देता तो ,लड़की को अपने पास बुलाकर पैसे उसके ब्लाउज में डाल  देता। 

हम ये सब देखकर हैरान थीं। हमें वहां से भगाया गया। जाओ तुम्हारा काम नहीं देखना ,जबकि वहां एक छोटी लड़की ही नाच रही थी। वहां ,औरतें नहीं थीं ,सभी पुरुष मस्ती कर रहे थे। उस समय कुछ समझ नहीं आया ,हम वहां से हटा दिए गए। रास्ते में उषा बता रही थी कि ये बेढ़नी हैं ,इनका काम शादी -ब्याह में नाचकर पैसे कमाना है। मैं ,बोल पड़ी  ,पर वो लड़की तो कितनी छोटी है ,कितने स्टायल में नाच रही है। उसके जैसी कमर चलाना मुझे भी सीखना है। वो दोनो हंसने  लगीं। अपनी दादी को देखा है ? 

घर आकर दादी को सब बता दिया क्योकि दादी का बी. बी. सी. तो मैं ही थी। गांव भर की ख़बरें दादी को देती थी। दादी !! वहां ये हुआ ,वहां वो हुआ वगैरह ---दूसरे दिन से छत पर जाकर बेढ़नी जैसे डांस की प्रैक्टिस होने लगी। बहुत जल्दी मैं सीख भी गई। फिर एक दिन माँ को दिखा रही थी माँ !! तिवारी जी के घर एक लड़की ऐसा डांस कर रही थी। माँ ,आश्चर्यचकित थीं बोलीं -दादी के सामने मत नाचना वरना कभी बाहर नहीं जाने देंगी। हम लड़कियों का झुण्ड जब भी एकत्र होता ,हमेशा कमर की लचक की परीक्षा ली जाती थी। अब्बल आती थी। 

जीवन की आपा  -धापी में सब भूल गई ,इस नृत्य की यादगार शिक्षिका को भी भुला दिया। एक दिन पति के पुलिस अधिकारी दोस्त घर आये , रात का खाना साथ होना था तो ,बात -चीत चलती रही। तब ,उन्होंने बताया कि वे एक एन.जी.ओ. के साथ काम करते हैं जो बेड़िनी जाति की लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करता है। कैसे उन्होंने संघर्ष किया ,उनके माता -पिता को तैयार किया ,लड़कियों को मनाया। आज भी वहां ,पचास बरस के ऊपर वाली औरत इस काम के लिए बूढी हो जाती है ,चालीस वाली औरत कभी -कभी  करती है ,उन्हें किसी मर्द के साथ घर बसाना पड़ता है। दस बरस की रजस्वला कन्या को पूरे  साथ धंधे में उतारा जाता है। 

एक दिन में आठ -दस ग्राहक भी आते हैं ,एक आदमी के पास जाने का तीन हजार तक भी मिल सकता है। इनकम का जरिया वो कमसिन लड़की ही होती है ,जो पूरा घर संभालती है। इसलिए कोई भी माता -पिता बेटी को बाहर नहीं जाने देते ,पढाई का तो सवाल ही नहीं उठता। जब उन अधिकारी ने लड़की से सुरक्षा उपाय की बात की तो ,उसने झट से कंडोम दिखा दिया। हम ये इस्तेमाल करवाते हैं। उनकी कहानी सुनकर मुझे  वो लड़की याद आ गई। नाचते हुए ,पुरुषों को रिझाते हुए ,ब्लाउज में नोट रखवाते हुए वो कितनी सहज थी। उम्मीद थी अच्छे पैसे मिलेंगे। आज ,बहुत लड़कियों को पढ़ाई के लिए तैयार कर पाए हैं लेकिन बड़ी मुश्किलों के बाद। लड़कियों को पता ही नहीं पिता कौन है ,समाज से जुड़ना भी तो आसान नहीं। बहुत हिम्मत ,हौसला ,बहादुरी चाहिए। 

जब छोटी थी तब ,लालो की माँ गुस्से में उसे बेड़िनी बोलती थी ,तब ये शब्द महज  निकालने   जरिया था। उस शब्द का इतिहास ,पीड़ा ,दर्द का अहसास नहीं था। बाद में पता चला एक गांव इन्हीं लोगों का है जो पास ही था ,जैसे कुछ लोग पागल शब्द का प्रयोग करते हैं पर उसका कोई ख़ास मतलब नहीं होता। कहीं लोग यार शब्द का प्रयोग करते हैं ,बेड़िनी शब्द का अर्थ पता चलते ही रूह कांप गई। लड़की याद आ गई। 

रेनू शर्मा 






































 

























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