Wednesday, February 22, 2023

बेटी

 बेटियां ही एक दिन 

नारी ,बनती हैं ,

नारी यानि जो 

नार धारण करे ,

जो नार से जीवन 

दान करे ,

चाहे नर हो या मादा ,

मादा यानि जो मान दे। 

जिसमें सहने की ऊर्जा हो। 

फिर क्यों ?

बेइन्तहाँ ,बेहिसाब 

परीक्षाओं से ,बेटियों को ही 

गुजरना पड़ता है। 

कभी , तिरस्कार कभी ,

अपमान ,कभी आत्मभंजन 

भावाभिव्यक्ति ,

बेटी को ही ,

अहसास कराते हैं ,

पिता हो या माँ 

आत्मा को आत्मा से 

विभाजित करते हैं। 

बेटा ,मृत कर्म करेगा 

स्वर्ग मिलेगा ,वंश 

पदचिन्ह छोड़ेगा। 

बेटी , जब तक ,साथ है ,

तथाकथित घर का 

मान -सम्मान धरोहर सा 

सम्भालो ,अपने अरमान 

खुशियां ,जवानी सब 

पीहर की देहरी पर ,

समर्पित कर दो ,

कर्मों का फल ,

पति और बेटे से भोगती रहो। 

बेटी के पास न तो ,

पति ,न बेटा ,न घर -परिवार 

और न सखी -सहेली। 

ऐसी जन्मजात योगिनी !! 

किसी रहस्य्मय लोक में ,

निर्विकार स्वकार ले ,निशब्द 

नृत्यानन्द करती होगी। 

रेनू शर्मा 

















































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