माँ !! मैं ,अभी शादी नहीं करुँगी ,कहे देती हूँ। मुझे थोड़ा पढ़ लिख लेने दो। पराये घर जाउंगी तो सब कहेंगे ,कैसी माँ ,थी लड़की को पढ़ाया नहीं। हाँ ,ज्यादा बातें मत बना। ऍम ए ,बी एड कर लिया अब ,और क्या ? लड़की जब शादी विवाह में व्यवधान डालती है तो,ठीक नहीं होता। माँ ! प्लीज ,अब ,कुछ भी मत बोलो।
शाम को कविता मौसी माँ से मिलने आ गई ,देर तक बातें होती रहीं ,माँ ने बोल ही दिया -अब ,तू ही मीता को समझा ,लड़का अच्छा है ,सरकारी जॉब है ,घर है माता -पिता अच्छे हैं बाबा !! झाँसी गए हैं लड़का देखने। तू क्यों ?मना कर रही है मीता ! कुछ नहीं मौसी ! माँ ,फिर अकेली रह जाएँगी। अरे ! मैं ,हूँ न। तू क्यों चिंता करती है ? असल में दीदी ये बड़ी मूछों वाले दीपक से शादी करना चाहती है। सब लोग हंसने लगे।
दो महीने बाद मीता की शादी दीपक से हो गई ,मीता ससुराल आ गई और अपनी गृहस्थी में सब भूल सी गई ,दो बच्चों की माँ , बनकर मीता पहले से ज्यादा व्यस्त हो गई। सास -ससुर के मरने के बाद झाँसी आना -जाना ख़तम हो गया। मीता का बेटा अब बड़ा हो रहा है ,कहता है माँ !! मुझे बाहर जाकर पढ़ना है। लॉन लेकर बेटे को ऑस्ट्रेलिया भेज दिया ,पढाई के साथ ही किसी रेस्ट्रा में काम भी करता है। दो साल बाद किसी कंपनी में नौकरी भी लग गई। बेटा ,अभी तक माँ से मिलने नहीं आया।
इधर मीता बेटी , रूही डॉक्टरी कर रही है ,आखिरी साल की पढाई चल रही है ,माँ ,टिफिन लगाती है ड्रेस तैयार करती है। दीपक अब ,रिटायर हो चुके हैं। माँ , बेटे रोहित के लिए लड़की देखना शुरू करती है , लेकिन एक दिन रोहित भारत आता है ऊर्जा के साथ ,माँ हम साथ रहते हैं। काम भी साथ करते हैं ,इसके माता -पिता भारत में ही रहते हैं। आप चिंता न करो ,हम अभी शादी करके ही जायेंगे। मीता ,हतप्रभ रह गई ,दीपक भी हैरान थे ,चलो ठीक है। एक हफ्ते के भीतर शादी हो गई रोहित वापस भी चल गया।
पता चला कि रोहित ने वहां गाड़ी खरीद ली है लेकिन ये नहीं सोचा कि पढाई का कर्जा चुकाया जाय। दीपक ने कर्ज चुकता किया। आठ माह बाद ही पता चला रोहित एक बेटी का पिता बन चुका है। इधर रूही की पढाई समाप्ति पर है। एक दिन अर्चित के साथ घर आई थी ,माता -पिता को समझने में देर नहीं लगी कि यही उनका होने वाला दामाद है। मीता ने सोचा कुछ हो कुछ और ही रहा था। शाम को चाय लेकर दीपक के पास गई कुछ सुस्त लगे ,क्या हुआ जी ,कुछ नहीं सोच रहा था रूही की शादी कर दें। हाँ ठीक कहते हो ,तभी फोन बजने लगा , ऊर्जा ! बोल रही हूँ रोहित का एक्सीडेंट हुआ है वो अब ,नहीं रहा रूही जैसे जैम सी गई क्या बोल रही है ? दुबारा फोन किया ,माँ तो वही गश खाकर गिर गई ,पिता बिस्तर पर ही शांत हो गए। रूही जल्दी से हॉस्पीटल लेकर गई ,लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। घर में मातम छा गया। किसी तरह माँ को संभाला गया। माँ ,एक जीती लाश जैसी हो गई।
एक साल बीत गया ,रूही ने अर्जित से विवाह कर लिया। माँ का घर ,पिता की बची हुई धन -दौलत सब अपने नाम कर ली। आज आश्रम में बड़ी हलचल है ,शर्मा जी बता रहे थे ,कोई पत्रकार आ रही है ,आपका भी इंटरव्यू लेगी मीता जी ,आपको माँ कहती है न ? हाँ रूही भी माँ कहती थी। अच्छा किया जो यहाँ छोड़ गई वरना मैं ,कभी ठीक न हो पाती।
मीता ,बोल पड़ी मैं , चाहती हूँ बच्चे ,आपका लेख जरूर पढ़ें। माँ बाबा को छोड़ना शर्म की बात है। उन्हें सोचना पड़ेगा कि आगे उनकी भी संतानें आएँगी इस दुनियां में।
रेनू शर्मा
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