Saturday, January 28, 2023

वो , पगली

वो , बादलों को देखकर 

मुस्करा उठती थी ,

पंछियों के साथ 

गप -शप करती थी ,

हमेशा ,ठंडी हवाओं के साथं 

उड़ जाती थी ,दूर तक 

वो , हर -पल जिन्दा थी ,

खुद से दूर। 

वो , दीवारों से घिरी 

सिसक उठती है ,

वो , थम सी गई है ,

वो , ठहर सी गई है ,

क्योंकि ,उसने 

लिखना छोड़ दिया है। 

रेनू शर्मा 
















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