खामोश हैं ,सांसें
खामोश हैं ,धड़कनें
हौले -हौले
खामोश हो रहे हैं ,
भाव -विचार और
संवेदना।
बीच राह में , बना
रिश्ता ,जो
किले की दीवार सा
दृण हो चला था।
अब , रेत के ढेर सा
बिखर गया सा लगता है।
दूर से , ख़ामोशी
आवाज लगा रही है ,
वीराना ही साथ
निभा रहा है।
रेनू शर्मा
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