फूल वाली फ्राक पहने
सुबह से ,नहाधोकर
बालों में ,क्लिप लगाए ,
नंगे पैर ,
एक घर से ,दूसरे घर
खींची जाती थी ,
राजो !! आओ न ,
माथे पर लाल टीका ,
पैरों पर महावर ,
हाथ पर ,एक टका रखकर
कन्या , पूजी जाती थी।
आँगन में दरी बिछाकर ,
थाली में ,पूड़ी -हलवा
खीर -चना सब
देवी को चढ़ाया जाता था।
लम्बा घूँघट डालकर ,
चाची , ढोक लगाती थी।
चबूतरे पर बैठा काका ,
जय हो मैया की ,
बोलता था।
आज ,वही काका
गर्भ में ठहरी ,नातिन को
लाना नहीं चाहता।
कैसा देवी पूजन ?
रेनू शर्मा
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