सजला दनदनाती ऑफिस में घुस गई ,आज फिर ऑफिस आने में देर जो हो गई है। चटक काला सलवार -कुरता जिस पर सुनहरे रंग की जयपुरी प्रिंट से बेलबूटियाँ छपी हुई हैं। बालों को कसकर बांधा गया है ,उसे इधर -उधर उड़ते बालों से बड़ी चिढ़ लगती है। बार -बार चहरे पर झूलते बालों को सँभालने में ही विचार -श्रंखला टूट जाती है। आज भी मनोयोग से काम करना उसे भाता है। कितनी बार विमी ,ने कहा -सजला दी घर पर कोई काम करने रख लो ,लेकिन उन्हें सुनना ही नहीं। कहती हैं एक प्राणी का काम होता ही कितना है। कभी जब ,माँ आ जाती हैं तब दस लोगों का काम निकलता है।
सजला को नियम कायदे से काम करना पसंद है। ऑफिस के काम में कोताही बरती तो उसे बर्दास्त नहीं होता। कल ही भूपेश से भिड़ गई थी ,साफ़ कह दिया था मिस्टर !! काम नहीं करना तो दूसरी जगह तलाशिये। प्रधान सम्पादिका का काम देखते हुए दो साल हो गए ,प्रतिबिम्ब पत्रिका को देख रही है। अपनी कहानी ,कविता ,लेख बूँद नाम से छापती है। सजला को कब समय मिलता होगा जब लिख पाती होगी ,विमी , नौकरी का आवेदन लेकर सजला के पास आई थी , उसे काम के साथ ही छोटी बहन भी बना लिया।
एक दिन भयंकर बारिश हो रही थी ,सजला तेज बुखार से तप रही थी ,विमी के पास फ़ोन किया ,तुम अभी दवा लेकर आओ मेरे पास ,चार पैकेट दूध भी लेती आना , कैसे आओगी अभी तो पानी बरस रहा है ,दी ,तुम चिंता न करो मैं , आती हूँ। गीत को लेकर विमी आधा घंटे में सजला के पास आ गई ,सारे कपडे भींग रहे थे ,जाओ पहले कपडे बदलो ,पता चला सेवा करने आई थी खुद बीमार हो गई। बाहर गीत खड़ा था ,बेटा !! थोड़ी सब्जी ला दे बगल के मार्किट से , दीदी !! माँ ने कहा है विमी दी आपके पास रुक जाएगी रात को ,सब्जी लाता हूँ।
विमी ,ने अस्त व्यस्त घर को ठीक किया ,दवा देकर दूध भी गरम कर दिया ,अब आप थोड़ा सो लो मैं ,अपने लिए दो पराठे बना लेती हूँ ,हाँ तो पराठे ज्यादा बना लेना हो सकता है मैं भी खाऊं ,ठीक है आप रेस्ट करो ,मैं देख लुंगी। सजला अभी सो गई ,विमी ,खाना बनाकर टेबल ठीक करने लगी ,तभी एक डायरी पर उसकी नज़र गई ,कांपते हाथों से पढ़ने लगी लिख था -
दरिया बन बह जाउंगी
तुम्हारी रूह में ,
तुम सागर बन
समेट लेना मुझे ,
मैं ,हिरणी सी ---
किसके लिए लिख रहीं हैं दी ,हजारों सवाल कौंध गए जहन में। सजला ने करवट बदली ,अब कैसी हो दी ? कुछ ठीक लग रहा है। तुम मेरे पास बैठो ,खाना खाया या नहीं ? या कर रही हो जबसे। आपके साथ खाउंगी न ,तब दो गिलास दूध लाना ,विमी खुश हो गई ,माँ के पास कभी दूध नहीं पिया था। बारहवीं पास करने के बाद जॉब करने लगी हूँ ,शायद माँ के पास इतना नहीं होगा। गीत भी तो छोटा है उफ़ मैं भी कहाँ अटक गई।
विमी ,तुम बहुत अच्छा खाना बनाती हो ,माँ से सीखा होगा ?सजला दी !! एक बात पूछूं ,हाँ बोल न ,आज काम ज्यादा करना पड़ा न ,नहीं वो बात नहीं है , आपकी डायरी देखी ,बहुत अच्छा लिखती हो दी ,माफ़ करना ,आपसे पूछा नहीं ,अरे ! कोई नहीं। लिख लेती हूँ थोड़ा ,कोई है आपकी लाइफ में ? ऐसा कुछ नहीं है। बारिश भी बंद होने का नाम नहीं ले रही ,हम चाय पियें क्या ? हाँ लाती हूँ।
सजला बालकनी में निकल आई ,शॉल से कन्धों को ढकती हुई ,कुर्सी पर बैठ गई। एक -एक टपकती बूंदों के साथ मानो ,स्वयं भी बरस रही थी। विमी ,चुपके से पास आकर बैठ गई दी , चाय ,हाँ लेती हूँ। दी ,कुछ बताओ न ,क्या बोलूं जब कॉलेज पास किया माँ ने सोचा मेरी शादी कर देगी ,बिना बाप की बेटी को नौकरी नहीं करवानी थी। एक दिन मां को बुलाया और बोल दिया रिस्ता देखो। दो महीने बाद एक बैंक का क्लर्क मिल गया ,पंद्रह दिन के भीतर सारे काम हो गए ,गौरव के साथ उसके घर आ गई। जाने क्या हुआ लगा जैसे इस घर में ,रुक नहीं पाऊँगी। भीतर कुछ रिस रहा था ,सारे दिन काम करो ,रात को पति को संतुष्ट करो ,कभी घर के सदस्य की तरह नहीं देखा ,माँ को कुछ नहीं बताया। गौरव से नौकरी करने की बात की तो ,बोलै कहाँ लोगों के बीच दौड़ती रहोगी ,घर में रहो।
खुद दोस्तों के साथ पार्टियां करता है ,शराब पीता है ,घर आकर मुझपर गुस्सा करता है। एक दिन बोला था , तुम्हारी माँ का पैसा भी तो हमारा है ,मैं हतप्रभ थी। माँ को कुछ नहीं बताया ,वापस आ गई ,फिर नहीं गई। माँ ,कई बार समझाती थी बेटा !! वही तुम्हारा घर है ,पर मैं नहीं गई ,माँ को बोल नहीं पाई कि तुम्हारे पैसों पर उसकी नज़र है। माँ ,बीमार पड़ी तब मुझे लेने आया था ,बहुत वादे किये लेकिन मैं ,जानती थी वो सुधरने वाला इंसान नहीं है।
दी , इतना बड़ा फैसला लिया आपने ,हाँ मैं जानती थी किसी लड़की से उसके रिश्ते हैं ,उसके घर वालों को पता था ,सब मक्कार हैं। नशे में होने पर गौरव ने ही मुझे सब बताया ,तब मुझे लगा मैं ,साथ नहीं रहूंगी। माँ ,कुछ नहीं जानती इसलिए गौरव को फोन कर लेती हैं। गांव में माँ का घर है ,खेत हैं ,मैं यहाँ जॉब कर रही हूँ ,कभी -कभी माँ मेरे पास आ जाती हैं।
विमी ,तुम कहाँ उलझ गई हो , सो जाओ ,देखो पानी रख लेना ,चादर अंदर अलमारी में रखी हैं ले लेना। उजला ,एक लम्बी साँस लेकर उठी और कमरे में चली गई। दी ,आपको कुछ चाहिए ,नहीं विमी तुम सो जाओ सुबह ऑफिस जाना पड़ेगा। तभी ,फोन की घंटी बजी ,विमी ने ही उठा लिया ,जी कौन ? मैं ,कपिल बोल रहा हूँ सज्जी से बात हो सकती है ?जी ,देती हूँ। सजला देर तक फोन पर बात करती रही। वो ,एक हफ्ते के लिए घर आ रहे हैं ,विमी अपने कमरे में जा चुकी थी ,सजला ,चहकती हुई गुनगुना रही थी -मेरा पिया घर आया --
रेनू शर्मा
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