Saturday, July 16, 2022

नारी की कहानियां

पूरे पृथ्वी मंडल पर बेटियों को दोयम दर्जा ही मिला हुआ है , कहीं भी देख लो , एक स्त्री ही बेटी को पराया धन बता देती है ,माँ ,होकर भी बेटी के लिए इतनी असुरक्षा अनुभव करती है कि सोचती है ,पढ़ाई करो ,जो सीखना है ,सीख लो ,जॉब मिलता है तो ठीक नहीं तो ,शादी करो और अपना घर सम्भालो। हजार पाबंदियां बेटियों पर लगी  रहतीं हैं ,ये करो ,ये नहीं करना है ,ऐसे उठो ,ऐसे बैठो ,ये सब बंधन तब समझ आते हैं जब ,बेटी भी एक बेटी की माँ  जाती है। उसे समाज के तौर -तरीकों को  देखकर ही निर्णय लेने पड़ते हैं। 

आज की नारियों को पता है ,कब बेटी बड़ी होगी और कब लोगों की  निगाहें उसकी  तरफ बदलने लगेंगी। कब बाप के ऊपर भी भरोसा एक लिमिट में किया जायेगा , कड़वी बात है लेकिन सच है। अब ,प्रश्न उठता  कि क्या बेटी गलत नहीं होगी ? हाँ , माँ ,नहीं बता पाई होगी कि ऐसा हो  सकता है। अभी के समाज में दो बच्चे ही मान्य हैं ,माता - पिता भी ज्यादा बच्चे संभाल नहीं सकते। बच्चों के लिए शिक्षा , आधुनिक सुविधाएँ जुटाने में ही जीवन निकल रहा है। बच्चे भी ये सब समझ रहे हैं। 

जो बच्चे पब ,होटलों ,बार ,रेस्त्रां में नशा करते पकडे जाते हैं ,उनके भी तो माता -पिता होते हैं ,धन का दुरूपयोग ही ऐसे हालात बना है।  बच्चे बाहर पढ़ाई के लिए जाते हैं उनमें अधिकांश बच्चे गफलत का शिकार हो जाते हैं ,उन्हें सही -गलत का अंतर ही नहीं सुझाता। माता -पिता सोचते हैं बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं उन्हें नहीं पता कि उनका बच्चा फिल्म देख रहा है या किसी तरह के नशे की गिरफ्त में पड़ गया है। कहीं बाप से परेशानी ,कहीं बेटे से दुखी ,कहीं बेटी की वजह से चिंतित। 

हम यहाँ उन  बेटियों की बात करेंगे जो ,जनम तो अच्छे घर या खानदान में लेती हैं लेकिन जीवन भर वे मानसिक यंत्रणा का शिकार होती हैं। आज इकीसवीं सदी में भी बेटियां परिवार का हिस्सा नहीं बन पाई। बेटी आज भी दोराहे पर खड़ी है , अब ,कुछ लोग कहेंगे ऐसा कुछ नहीं है ,  इन लोगों को तो ,कोई भी विषय चाहिए ,ऐसा नहीं है यहाँ हर कहानी एक कड़वा सच है। 

क्रमशः -------




























No comments: