Saturday, July 16, 2022

तुलसी का बिरवां

मॉनसून की आमद हो चुकी है ,सुबह से आसमान में बादलों  जमघट लगना शुरू हो रहा है. शाम होते ही कड़कड़ाकर बरसने लगते हैं। कहीं बिजली गरजती है ,कहीं बादल भयंकर गर्जना करते हैं। सोचती हूँ ,पंछी बेचारे कहाँ छुपते होंगे ? पेड़ों के झुरमुट में घरोंदा बनाकर रहते हैं। दरवाजा खोलकर देख लेती  कहीं ,कोई चिड़िया परेशान तो नहीं हो रही। तभी रसोई की खिड़की पर एक बिल्ली म्याऊं -म्याऊं बोलती रहती है ,मानो ,कह  खाना दो न प्लीज ,बारिश हो रही है ,दरवाजे की आवाज सुनकर वहीँ  जाती है। थोड़ा सा दूध पीकर वहीँ रातभर सोती  रहती है। 

शाम होते ही तुलसी के बिरवे पर दिया जलाना आदत सी हो गई है , कभी जब हवा  तब , अंदर जला  देती हूँ। अभी तो शाम का पांच ही बजा है ऐसा लग रहा है ,मानो आठ बजा हो , बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही ,तभी विहान ऑफिस से आते हैं , गेट खोलकर ,गाड़ी से छाता निकाला और गाड़ी की ओर बड़े  क्या हुआ , गाड़ी खुद से ही चलने लगी , मैं ,रसोई की खिड़की से  थी , ऐसे लगा ,कोई गाड़ी चला रहा है , विहान , खोलने उतरे हैं ,गाड़ी को रोकने के लिए विहान साथ -साथ भागे ,तभी गाड़ी का गेट बंद हो गया और गाड़ी टेडी होकर फिसलती हुई दीवार से जा टकराई। विहान ,फिसलकर वहीँ गिर गए। 

भागकर बाहर आई ,विहान को उठाया ,लेकिन गाड़ी का इंजन चालू था ,भयंकर तूफानी रात में हम दौनों गाड़ी बंद करने और सुरक्षा के लिए इधर -उधर देख रहे थे ,चाबी गाड़ी के  भीतर थी ,बारिश का पानी पूरे तेज  के साथ अंदर आ रहा था। बड़ी मुश्किल से गाड़ी को  पीछे किया ,अथक प्रयास के बाद गाड़ी बंद हुई , हम घबराहट में काँप रहे थे। अगर  हादसा  जाता तब ,कोई समझ भी नहीं पाता कि क्या हुआ होगा। 

सारी रात हम  नहीं पाए ,सुबह हादसे का हाल जानने के लिए बाहर गए तो ,देखा जो तुलसी कल तक हरी -भरी थीं वे अचानक से सूख गईं  हैं। हम लोग अचंभित थे ये क्या हुआ ? सुना था कि पशु -पक्षी , जानवर अपने पालनहार का दुःख -कष्ट अपने ऊपर लेते हैं ,लेकिन तुलसी जी का सूख जाना कुछ समझ नहीं आया। उस पौधे को विसर्जितकर नया पौधा लगा दिया गया। तुलसी के बिरवे ने हमें सुरक्षित रखा। हमारे घर में तुलसी का  हमेशा  वास् रहता है। 

रेनू शर्मा 

























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