गुप्तचरी
युग बीत गए पर हमारे समाज ,राष्ट्र ,देश काल और पृथिवी पर व्याप्त कुछ विकृतियां या कहें कि जीवन के संघर्ष की साक्षी कुछ कूटनीतियां आज तक नहीं बदल सकीं। राजा ,महाराजाओं ,प्रधानमंत्री ,राष्ट्रपति या अन्य महान व्यक्तियों को दूत , गुप्तचर ,चुगलखोर ,खबरी की आज भी सख्त जरूरत रहती हैऔर हमेशा रहेगी। हमारी धरती पर गप्तचरी समय के साथ बदलती रही है। मध्य युग में तिलिस्म काल था। हर जगह रोमांच ,रहस्य , युद्धय ,ह्त्या लूट ,बाजीगरी का बोलबाला था। हमेशा से पुरुषों के साथ स्त्रियां भी सक्रीय रही हैं।
मुग़ल काल इस रहस्य्मय व्यवस्था के लिए विख्यात है ,इस काल में हिजड़ों के लिए गुप्तचरी शुरू हो गई थी। उन्हें राजमहलों में इस काम के लिए नियुक्त किया जाने लगा था। रानियों के महलों में पुरुषों का प्रवेश निषेध था ,वहां सिर्फ हिजड़े जा सकते थे। इन्हें इनाम भी दिया जाता था और गद्दारी करने पर मरवा भी दिया जाता था। समाज बदला तो व्यवस्था भी बदली। गुप्तचरी भी बदलने लगी। गुप्तचरी के लिए टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाने लगा।
हर घर -परिवार में एक व्यक्ति तो चुगलखोर होता ही है ,जिसका काम इधर से उधर करना ही होता है , दूर दर्शन से पता चला कि हर घर ,परिवार ,गांव ,शहर ,राज्य फिर देश इस अहम् व्यक्ति को पदस्थ कर रखता है। सृष्टि के साथ ही यह काम चल रहा है। भाई -बहन भी एक दूसरे से बोल देते हैं किसी को बताना नहीं या उसे बताकर आओ , एक दिन माता -पिता को भी पता चल ही जाती है या तो , चुगलखोर ही बता देगा या पीड़ित व्यक्ति। कभी लालच दिया जाता है कभी डरा दिया जाता है ,यही सिलसिला आगे बढ़ता रहता है।
संयुक्त परिवार में तो और ज्यादा धमाचौकड़ी चलती रहती है , नितनई बातें , नई कूटनीतियां ,स्पर्धाएं ,मनमुटाव चलते रहते हैं। कुछ लोग अज्ञानता वश इस काम पर लगे रहते हैं। रामायण ,महाभारत ,चंदकांता या चाणक्य हो सभी कहानियों में गुप्तचरों की खराफ़ात चलती रहती है। पारिवारिक कहानियां भी सभी रिश्तों के बीच चुगलखोरी पर जिन्दा रहती हैं। धन -बैभव शाली लोग ईर्ष्यावश एक दूसरे की खोज करवाते रहते हैं। इसके लिए आजकल तो एजेंसियां खुल गईं हैं। पैसे खर्च करो और साक्ष्य के साथ खबर लो।
घर -परिवार से लेकर राष्ट्र तक यह काम विशेष व्यवस्था के तहत चलता है। इसके लिए लोगों को नौकरी दी जाती है , यही काम पत्रकार भी करते हैं। सभी कंपनियां अपने बन्दे इस काम के लिए नियुक्त करते हैं। बाल की खाल पता करने सब लगे हैं जो पहले जान लेगा , पैसा वहीँ चला जायेगा। आधुनिक ख़ुफ़िया तंत्र बड़ा रहस्यों से भरा और पेचीदा भी है। टेक्नोलॉजी का प्रयोग बढ़ गया है। तब भी महिलाएं , शराबखोरी और नशा इस काम को पुख्ता करने के लिए प्रयोग में लाये जाते हैं। एक देश की शातिर दूसरे देश के शीर्ष नेता ,मंत्री ,अधिकारी ,कर्मचारी और साधारण व्यक्तियों को जाल में फांसकर अपना काम निकालते हैं।
राजा से लेकर रैंक तक इस गुत्थी में उलझा है। सभी कर्मचारी ,सभी विभाग के लोग इस काम के शिकार हो ही जाते हैं। तभी तो ,व्यसनी ,कामचोर ,धनलोलुप , मक्कार व्यक्ति को खोज लिया जाता है। आज कल तो विज्ञान विभाग भी इस गुप्तचरी का शिकार हो रहा है। धन का लालच ही गलत काम करने का आधार हो जाता है। चोरी ,हत्या ,नकबजनी ,लूट ,धोखा सभी अपराधों की जानकारी यही गुप्तचरी देती है। कैमरा , चिप , कम्प्यूटर और बहुत से उपकरण इस काम को करते हैं। कभी जानवर , पक्षी ,खिलोने और ड्रोन का प्रयोग भी हो रहा है।
दैनिक उपयोग में हम फ़ोन का प्रयोग करते हैं। हमारी सारी जानकारी इस मशीन से किसी को भी मिल सकती है।अब ,पृथ्वी की बात क्या करें ? अंतरिक्ष में भी यही सब चल रहा है। हम उतनी दूर से भी किसी भी देश का हाल जान सकते हैं। हमारे अंतरिक्ष में हजारों आकाश गंगाएं भी हैं ,हम उनके भीतर भी देख पा रहे हैं ,वहां भी गुप्त विद्द्या काम करती है। हजारों लोग इस काम पर लगे हैं। रहस्य की बुलंदियों को किसी भी शर्त पर जानना चाहते हैं।
" जो काम गुप्त रूप से , गुप्त व्यक्ति द्वारा ,गुप्त तरीके से किया जाए ,वह गुप्तचरी कहलाता है। "
" जो व्यक्ति गुप्त रूप से किसी काम को करता है ,बिना किसी अन्य को जानकारी दिए ,वह व्यक्ति गुप्तचर होता है "
ये काम रहस्य ,रोमांच ,ज्ञान ,विज्ञान , से भरा सत्य ,शाश्वत है। खतरों से भरा है। मानव विज्ञान को जानने वाला , चतुर ,चालाक , फुर्ती वाला , फनकार , कलाकार होना चाहिए। इस रहस्य्मय विद्द्या को जानना आवश्यक है।
रेनू शर्मा
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