अभिमान
अभिमान की बात होती है तब रावण का नाम जरूर आता है, हमारे घर -परिवार में भी सब लोग अच्छी बातों के साथ ही गलत व्यवहार के कारण भी एक दूसरे से चिढ़ जाते हैं। कोई भी रोकना -टोकना पसंद नहीं करता ,अच्छी बात पर अजनबी व्यक्ति भी दाद देकर चला जायेगा। गलत बात पर सब किनारा कर जाते हैं।
समाज में अभिमान दौलत से आता है या अधिक ग्यानी भी इस अभिमान की गिरफ्त में आ जाते हैं। या फिर जिठानी ,दौरानी ,ननद ,सास और सहेली भी ,ईर्ष्या इन्हें साथ नहीं रहने देती। व्यक्ति या तो जा खाय बौराय ,जा पाय बौराय। धन पाकर या नशा करने पर बुद्धि भ्रष्ट होने लगती है। कहा जाता है कि विद्वान के पास लक्ष्मी नहीं आती। अचानक से धन पाकर बहुत से पथ भ्रष्ट हो जाते हैं। अभिमान के चरम पर व्यक्ति धन नाश ,अपयश , नशा आदि गलतियां करता है और परिवार भी कष्ट भोगने के लिए मजबूर हो जाता है।
हम लोग बार -बार अपने अहम् को सर्वोपरि कर घातक निर्णय करते हैं और अपमानित होते हैं। कुछ लोग अनजाने में अभिमान का शिकार हो जाते हैं , उन्हें लोगों द्वारा बोलै जाता है -अरे ! तुम तो ,बड़े ग्यानी हो , तुम तो बड़े स्मार्ट हो , या तुम युवा लगते हो , वे समझ नहीं पाते इन बातों में कितना सच है। स्वप्न जैसी जिंदगी जीने लगते हैं। अभिमानी स्वयं को श्रेष्ठ वक्ता , कर्ता -धर्ता समझते हैं। जो व्यक्ति इनकी बात मानने से मना करे वही दुश्मन हो जाता है। हर बात पर परीक्षा लेने लगते हैं।
अभिमानी व्यक्ति को आत्मा की आवाज भी सुननी चाहिए। दूसरे व्यक्ति को भी मान सम्मान देना आना चाहिए। एक दिन घमंडी व्यक्ति दुर्बल हो जाता है ,धन से , बल से , परिवार से ,खुद से तब उसे समझ आता है। इसलिए आत्मा को शुद्ध रखो , सबसे समान व्यवहार करो।
रेनू शर्मा
No comments:
Post a Comment